मिस्टर चूहे राम।
किए इलाज बहुत सारे,
सब हुए व्यर्थ, बेकाम।
और अंत में बड़ी डॉक्टर,
हथनी गई बुलाई।
आते ही उसने चूहे को,
अपनी सूंड चुभाई।
सूंड चुभी तो चूहेजी को,
हुई गुदगुदी भारी।
हंसी आई तो पल भर में ही,
फुर्र हुई बीमारी।
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