ग्लोबल वॉर्मिंग पर कविता : गरमाती धरती

Webdunia
- राजेन्द्र निशेश
 

 
ग्लोबल वॉर्मिंग से गरमाती धरती,
ग्लेशियर पिघल रहे, घबराती धरती।
 
वायुमंडल हो रहा सारा ही दूषित, 
उथल-पुथल है भीतर बतलाती धरती।
 
ग्रीन हाउस गैसों से बढ़ रहा खतरा,
सभी की चाहत है मुस्कुराती धरती।
 
कहीं बाढ़, कहीं सूखा, रंग दिखलाता,
खून के आंसू भीतर बहाती धरती।
 
सुनामी का तांडव कहीं लील न जाए,
बचा लो तटों को, पाठ पढ़ाती धरती।
 
अंधाधुंध न काटो, बढ़ाओ वृक्षों को,
पर्यावरण बचा लो समझाती धरती।
 
साभार - देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

सर्दियों में सेहत और स्वाद का खजाना है मक्के की राब, पीने से मिलते हैं ये फायदे, जानें रेसिपी

सर्दियों में रोजाना पिएं ये इम्यूनिटी बूस्टर चाय, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

ज्यादा मूंगफली खाना क्या लिवर के लिए है नुकसानदायक, जानिए सच्चाई

क्या सच में खाली पेट कार्डियो से जल्दी कम होती है चर्बी? क्या है इस दावे की सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

76वां गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक, जानिए भारतीय गणतंत्र की 26 अनोखी बातें

Republic Day Parade 2025: वंदे मातरम् और जन गण मन में क्या है अंतर?

जयंती विशेष: सुभाष चंद्र बोस के 8 अनसुने प्रेरक विचार, बदल देंगे आपका जीवन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, जानें महत्व और पराक्रम दिवस के बारे में

Makeup Tricks : सर्दियों में ड्राई हो गए हैं लिपस्टिक और आईलाइनर? इन टिप्स से 2 मिनट में करें ठीक

अगला लेख