कविता : जंगल में...

Webdunia
- कुसुम खरे 'श्रुति' 

पेट दर्द से शेर तड़पता, वैद्य बुला दो यार,
उल्टी होने लगी शेर को, दस्त लगे दो-चार।
 
बोला बंदर वैद्य शेर से, क्या खाया था तुमने? 
लाई शेरनी हिरण शिकार, वही लिया था हमने।
 
किया परीक्षण घास भरा मुंह, पाया मरे हिरण का,
मरे कीट थे लगे घास में, असर कीटनाशन का।
 
उसी दवा से हिरण मरा था, कहा वैद्य बंदर ने,
पानी संग पीने को दी, तब दवा वैद्य बंदर ने।
 
पानी में भी मिली हुई थी, दवा खेत की बहकर,
हाल किया बेहाल प्रकृति का, जहरीली दवा छिड़ककर।
 
फल-सब्जी हम खाएं धोकर, पशु-पक्षी कैसे धोएं?
बंद करो छिड़काव दवा, फिर धरती उर्वर होए।

साभार - देवपुत्र
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

डाइजेशन से लेकर इम्यूनिटी तक: गर्मी में कच्चे पपीते का जूस ऐसे करेगा आपकी हेल्थ को सुपरचार्ज

खूबसूरत और हेल्दी बालों के दुश्मन हैं ये 5 सबसे खराब हेयर ऑयल्स, क्या आप भी कर रहे हैं इस्तेमाल?

बिना डाइटिंग के भी कम हो सकता है वजन, जानिए कौन सी हेल्दी आदतें अपनाने की है जरूरत

डिहाइड्रेशन से लेकर वजन घटाने तक, गर्मियों में खरबूजा खाने के 10 जबरदस्त हेल्थ बेनिफिट्स

अखरोट के साथ ये एक चीज मिलाकर खाने के कई हैं फायदे, जानिए कैसे करना है सेवन

सभी देखें

नवीनतम

दाभेली और वड़ा पाव में क्या है अंतर?

एलोवेरा के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मजबूत होंगे बाल, आ जाएगी गजब की शाइन

वक्फ विधेयक पारित होने के मायने

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर : समता, न्याय और नवजागरण के प्रतीक

बाबा साहब अंबेडकर जयंती पर कुछ दोहे

अगला लेख