बालगीत : बहुत दिनों के बाद...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बहुत दिनों के बाद कबड्डी,
फिर से खेले बच्चे।


 
बहुत दिनों के बाद गए हैं,
फिर से मेले बच्चे।
 
पापा के संग अभी आए हैं,
दादाजी के गांव।
खूब पहाड़ी जंगल घूमे,
थके नहीं हैं पांव।
 
उन्हें लग रहे प्यारे-प्यारे,
पगडंडी के रस्ते।
रामदीन काका ले आए,
उनको आज बगीचे।
 
सब बच्चों ने झूला झूला,
एक पेड़ के नीचे।
मन को लुभा रहे हैं सबके,
पके आम के गुच्छे।
 
कल जाएंगे चाचा के संग,
बच्चे नदी नहाने।
इसीलिए तो गांव आए हैं,
मस्ती-मौज मनाने।
 
दही-परांठे दादीजी के,
कितने मीठे अच्छे।
बहुत दिनों के बाद मिला है,
इतना बड़ा खजाना।
 
सच्ची खुशियां क्या होती हैं,
स्वाद यहीं पर जाना।
उन्हें लग रहे लोग गांव के, 
कितने भोले सच्चे। 
 
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