चुलबुली कविता : चूहा और ऐनक

कृष्ण वल्लभ पौराणिक
घूम रहा था चूहा घर में
टेबल के ऊपर वह आया
वहां पड़ा था सुंदर ऐनक
जो था उसे बहुत ही भाया ...
ऐनक लेकर कान चढ़ाया
और सामने दर्पण पाया
देखा उसने एक बड़ा सा
चूहा उसके सम्मुख आया ...
 
आंख तरेरी उसने उस पर
वही रूप उस पर भी छाया
लपका उस पर जब यह चूहा
दर्पण से जाकर टकराया ...
 
बार-बार टकराए दोनों
कोई उनमें जीत न पाया
चूहा लगा बैठ सुस्ताने
वैसा ही दूजा सुस्ताया ...
 
शिथिल हुआ जब पहला चूहा
मुड़ा और बिल घुसने धाया
उसे देखकर दूजे ने भी
उसी दिशा में कदम बढ़ाया ...

 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

युद्ध के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति?

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

वास्तु के अनुसार कैसे प्राप्त कर सकते हैं नौकरी

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

सभी देखें

नवीनतम

गर्मी के दिनों में फैशन में हैं यह कपड़े, आप भी ट्राय करना ना भूलें

क्या है परेश रावल के यूरीन से इलाज के दावे का सच, जानिए क्या बोले यूरोलॉजिस्ट

इंदौर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में फिटनेस, फास्टिंग और लाइफस्टाइल पर विशेष व्याख्यान का सफल आयोजन संपन्न

पहलगाम अटैक के बाद क्‍यों हो रही है फिल्‍म The Social Dilemma की चर्चा?

इंदौर में स्वस्थ जीवनशैली और लंबी उम्र के लिए जागरूकता कार्यक्रम, "लिव लॉन्ग, लिव स्ट्रॉन्ग"

अगला लेख