बाल कविता : शादी की आजादी

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चूहा बोला पूज्य पिताजी,
      नहीं चलेगी लफ्फे बाजी।
      यहीं बगल वाले बिल वाली,
      चुहिया से करवा दो शादी।
                 घर सबका देखा भाला है,
                 और कुंडली मिलवा ली है।
                 गुण पूरे छत्तीस मिले हैं,
              मिला गए पंडित भूराजी।


 
       पूज्य पिताजी ने समझाया,
       पूस माह में सब वर्जित है।
       शुभ मुहूर्त जब तक न होगा,
       पंडित नहीं पढ़ेगा शादी।
                 चूहा बोला कोर्ट जाएंगे,
                 चुहिया को भी ले जाएंगे।
                 कोर्ट कचहरी में सुविधा है,
                  शादी की पूरी आजादी।
       इंतजार 
अब अच्छे जज का,
       जो विधिवत शादी करवा दे।
       कोर्ट रूम में घूम रही है,
       चूहों की भारी आबादी। 

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