बाल गीत : गुड्डी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मेरे नाना के घर में,
कल रात घुसे थे चोर।
 
खट-खट की आवाज सुनी तो,
छोटी गुड्डी जागी।
बिना किए ही देर फटाफट, 
उसने शैया त्यागी।
कान लगाए धीरे से,
आवाज सुनी जिस ओर।
 
धीरे-धीरे गई वहां पर,
बंद किया दरवाजा।
बोली आज बजा दूंगी मैं,
इन चोरों का बाजा।
उसके हाथ आ चुकी थी
इन सब चोरों की डोर।
 
शोर मचाया जोरों से, 
घर, पूरा पड़ोसी जागे।
पकड़े गए बंद कमरे से,
सारे चोर अभागे।
चर्चे होते हैं घर-घर अब, 
गुड्डी के चहुंओर।
 
ऐसे वीर बहादुर बच्चों, 
को आगे लाना है।
इनके साहस के यह किस्से,
सबको बतलाना है।
जानें इनको बच्चा-बच्चा,
जानें चांद-चकोर।
 
Show comments

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमने तो इन 6 बातों का रखें ध्यान

गर्मी में फलों की कूल-कूल ठंडाई बनाने के 7 सरल टिप्स

घर में नहीं घुसेगा एक भी मच्छर, पोंछे के पानी में मिला लें 5 में से कोई एक चीज

क्या कभी खाया है केले का रायता? जानें विधि

जीने की नई राह दिखाएंगे रवींद्रनाथ टैगोर के 15 अनमोल कथन

आत्मकथा : मेरी अपनी कथा-कहानी

अगला लेख