कविता : अंगद जैसा पैर जमा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
अ अनार का बोला था।
आम पेड़ से तोड़ा था।
 
इ मली सच में खट्टी है।
ईख बहुत ही मिट्ठी है।
 
उल्लू बैठ डाल पर।
ऊन रखा रूमाल पर।
 
एड़ी फट गई धूप में।
ऐनक गिर गई कूप में।
 
ओखल में मत रखना सिर।
औरत तेज बहुत है डर।
 
अंगद जैसा पैर जमा।
अः अः कर फिर चिल्ला।
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