कविता : अंगद जैसा पैर जमा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
अ अनार का बोला था।
आम पेड़ से तोड़ा था।
 
इ मली सच में खट्टी है।
ईख बहुत ही मिट्ठी है।
 
उल्लू बैठ डाल पर।
ऊन रखा रूमाल पर।
 
एड़ी फट गई धूप में।
ऐनक गिर गई कूप में।
 
ओखल में मत रखना सिर।
औरत तेज बहुत है डर।
 
अंगद जैसा पैर जमा।
अः अः कर फिर चिल्ला।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या पीरियड्स से पहले आपको भी लगती है ज्यादा भूख, जानिए कारण

क्या एक वक्त ऐसा भी आएगा जब भारत 'गायब' हो जाएगा?

क्या पुरुषों को महिलाओं से अधिक पानी की होती है जरूरत, जानिए क्या है कारण

क्या शादियों में तेज डीजे के साउंड से आ रहे हैं अटैक? जानिए डीजे की आवाज और हार्ट अटैक में क्या है सम्बन्ध

जानिए अल्कोहल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स की सच्चाई, कितने हैं आपकी त्वचा के लिए सेफ

सभी देखें

नवीनतम

अमेरिका और यूरोप में ठनी, वेंस के भाषण से लगा EU को झटका

एग्जाम की तैयारी के लिए ये हैं मेजिकल टिप्स, नहीं भूलेंगे बार-बार और बना रहेगा आत्मविश्वास

छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन की 5 घटनाएं जानिए

हिन्दी नवगीत : मन वसंत

पीरियड्स की डेट हो जाती है डिले तो इस देसी ड्रिंक से मिलेगी राहत

अगला लेख