बालगीत : न भई पापा, ना-ना-ना

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
गरम जलेबी आलू छोला,
न भई पापा, ना-ना-ना।
 









शाम ढले जब भी घर आना,
बस कुछ ठंडा ले आना।
आइसक्रीम भी ला सकते हैं,
कुल्फी भी खिलवा सकते हैं।
कोका-कोला भी विकल्प है,
लस्सी हमें पिला सकते हैं।
जीरा पानी, गोल फुलकियां,
न भई पापा ना-ना-ना।
 
आम दशहरी चल जाएंगे,
खूब संतरे मिल जाएंगे।
पिलवाएंगे अगर शिकंजी,
सबके चेहरे खिल जाएंगे।
पिज्जा वर्गर और चाउमिन,
न भई पापा ना-ना-ना।
 
तरबूजों की भी बहार है,
अंगूरों पर क्या! निखार है।
खरबूजों के मजे अभी हैं,
बस मिलने का इंतजार है।
गोल इमरती, बरफी, चम-चम,
न भई पापा ना-ना-ना।

 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

डाइजेशन से लेकर इम्यूनिटी तक: गर्मी में कच्चे पपीते का जूस ऐसे करेगा आपकी हेल्थ को सुपरचार्ज

अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानिए डॉ. अंबेडकर के 10 प्रेरणादायक विचार

खूबसूरत और हेल्दी बालों के दुश्मन हैं ये 5 सबसे खराब हेयर ऑयल्स, क्या आप भी कर रहे हैं इस्तेमाल?

अखरोट के साथ ये एक चीज मिलाकर खाने के कई हैं फायदे, जानिए कैसे करना है सेवन

केले में मिला कर लगाएं ये सफेद चीज, शीशे जैसा चमकने लगेगा चेहरा

सभी देखें

नवीनतम

जलियांवाला बाग हत्याकांड की स्टोरी, जानिए इतिहास का ये काला दिन कैसे बना स्वतंत्रता संग्राम का टर्निंग पॉइंट

तेज धूप से आंखों के निचे आ गए हैं डार्क सर्कल्स? तो तुरंत अपनाएं ये असरदार होम रेमेडीज

कितना खतरनाक है आंखों में लेन्स लगाना? जानिए इसके चौकानें वाले साइड इफेक्ट्स

बैसाखी का त्योहार कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है?

वर्तमान समय में हनुमान जी की प्रासंगिकता

अगला लेख