बाल कविता : मां अहिल्या देवी

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- हरीश दुबे
 
मां अहिल्या देवी हैं अवतार हैं
हर तरफ उनकी ही जय-जयकार है
 
लोग मंगल गीत उनके गा रहे
उन्हीं के दीप जलाए जा रहे
पुण्य की साकार प्रतिमा वे बनीं
हम सभी आशीष उनसे पा रहे
 
ज्ञान गौरव से भरा भंडार है
हर तरफ उनकी ही जय-जयकार है
 
हाथ में शंकर लिए चलती रहीं
जो मशालों-सी सदा जलती रहीं
अनाचारों को मिटाने के लिए
देश में फौलाद सी ढलती रहीं
 
आज भी जीवंत वो संसार है
हर तरफ उनकी ही जय-जयकार है
 
न्याय की आभा से आभासित महल
कला मर्मज्ञों से आनंदित महल
सादगी और शौर्य का संगम लिए
महेश्वर का पुण्य उल्लसित महल
 
लौह आयुधों की नित टंकार है
हर तरफ उनकी ही जय-जयकार है
 
साभार- देवपुत्र

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