कविता : उसको तो जाना ही है...

सुशील कुमार शर्मा
आज जब वह तैयार हो रही थी
आज जब वह अपना बैग सजा रही थी


 

 
कुछ यादें लुढ़क रही थीं आंखों में।
बचपन की सारी शरारतें, तुतलाती बातें।
 
एकटक उससे नजर बचाकर देख रहा था
उसका लुभावना शरारती चेहरा
 
और रोक रहा था चश्मे के अंदर लरजते आंसुओं को
उसकी मां रसोई के धुएं में छुपा रही थी लुढ़कते जज्बातों को
 
दादी उसकी देख रही थी उसे निर्विकार भावों से।
दे रही थी सीख छुपाकर अपनी सिसकियां
 
दादाजी उसके चुप थे क्योंकि वो जानते थे
कि उसको तो जाना ही है
 
इन सबसे बेखबर बिट्टो बैग सजा रही थी 
उसे बाहर जाना था पढ़ने, ऊंचे आकाश में उड़ने।
 
Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं

अगला लेख