बाल कविता : सोने-सा दिन‌

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मम्मीजी को आलू-गोभी,
और मटर की सब्जी भाती।


 

 
पर पापा को यह तरकारी,
फूटी आंखों नहीं सुहाती।
 
उन्हें चाहिए पालक-भाजी,
उनको कद्दू अच्छा लगता।
जिस दिन बनती लौकी उनके,
चेहरे पर रौनक आ जाती।
 
पर गुड़िया को अच्छा लगता,
मीठा भात, दही संग खाना।
जब भी उसकी इच्छा होती,
मम्मी मीठा दूध पिलाती।
 
जिसको जो अच्छा लगता है,
वैसा ही खाना बन जाता।
अम्मा गुस्सा कभी न करती,
मन ही मन रहती मुस्काती।
 
इस कारण ही घर में हरदम,
खुशियों के फव्वारे चलते।
दिन सोने जैसे होते हैं,
रात रजत जैसी हो जाती।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार

प्राइमरी टीचिंग में करियर बनाएं