चींटी रानी पर कविता : चिंगारी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सिर पर टोपी आंखों पर चश्मा,
हाथों में मोबाइल।
चींटी रानी चली ठुमककर,
पैरों में थी पायल।
 

 
तभी अचानक बीच सड़क पर,
बस उनसे टकराई।
डर के मारे वहीं बीच में तीन,
पल्टियां खाईं।
 
थर-थर, थर-थर लगी कांपने,
बस अब डर के मारे।
उतर-उतरकर बाहर आए,
तभी मुसाफिर सारे।
 
हाथ जोड़कर सबने माफी,
मिस चींटी से मांगी।
तब जाकर मिस चींटीजी ने,
क्रोध मुद्रा त्यागी।
 
बस से बोली आगे से वह,
बीच राह न आए।
अगर दिखूं मैं कहीं सामने,
राह छोड़ हट जाए।
 
नहीं आंकना छोटों को भी,
कमतर मेरे भाई।
एक जरा सी चिंगारी ने,
अक्सर आग लगाई।

ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें। 
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वर्ल्ड म्यूजिक डे 2025 : संगीत का साथ मेंटल हेल्थ के लिए इन 7 तरीकों से है फायदेमंद

21 जून योग दिवस 2025: सूर्य नमस्कार करने की 12 स्टेप और 12 फायदे

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: 30 की उम्र तक हर महिला को शुरू कर देना चाहिए ये 5 योग अभ्यास

21 जून: अंतरराष्ट्रीय योग एवं संगीत दिवस, जानें इसकी 3 खास बातें

क्यों पुंगनूर गाय पालना पसंद कर रहे हैं लोग? जानिए वैदिक काल की इस अद्भुत गाय की विशेषताएं

सभी देखें

नवीनतम

योग: तन, मन और आत्मा के मिलन का विज्ञान

थायराइड के लिए सबसे असरदार हैं ये 3 योगासन, जानिए कैसे करें

हर यंगस्टर को रोज करना चाहिए ये 5 योगासन

भारत के किस राज्य में कितनी है मुसलमानों की हिस्सेदारी, जानिए सबसे ज्यादा और सबसे कम मुस्लिम आबादी वाले राज्य

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें