बाल साहित्य : कविता में व्यथा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
उड़ते-उड़ते तितली बोली,
दादाजी क्या हाल-चाल हैं। 


 
सुबह-सुबह से लिखते रहते,
यह तो सचमुच ही कमाल है। 
 
लिखो हमारे बारे में भी,
कठिन दौर से गुजर रहे हैं। 
रस पीने अब कहां मिलेगा,
फूल नहीं अब निखर रहे हैं। 
 
पेड़ काट डाले लोगों ने,
फूलों के पौधे भी ओझल। 
आज बचे जो भी थोड़े से,
वह भी शायद काटेंगे कल। 
 
चिड़िया कोयल तितली भंवरे,
इसी सोच में अब हैं भारी। 
दादाजी कविता में लिखना,
यह थोड़ी सी व्यथा हमारी। 
 
बिना पेड़-पौधों के होगा,
कहां हमारा ठौर-ठिकाना। 
दुनिया से यह प्रश्न पूछना,
दुनिया से उत्तर मंगवाना।
 
Show comments

गर्मियों में इन 10 बीमारियों का खतरा रहता है सबसे ज्यादा, जानें कैसे करें बचाव

गर्मियों में भेज रहे हैं बच्चे को स्कूल तो न करें ये 10 गलतियां

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में पीरियड्स के दौरान इन 5 हाइजीन टिप्स का रखें ध्यान

मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करती है आयरन की कमी, जानें इसके लक्षण

सिर्फ 10 रुपए में हटाएं आंखों के नीचे से डार्क सर्कल, जानें 5 आसान टिप्स

क्या है ASMR जिसे सुनते ही होता है शांत महसूस? जानें सेहत के लिए कैसे है फायदेमंद

Ramanujan :भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन की 5 खास बातें