हिन्दी कविता : अजब पिटारी है...

Webdunia
- राजेन्द्र निशेश
 
पतझड़ की हो गई बिदाई,
अब बसंत की बारी है।
 
फूल खिल रहे महके-महके,
मयूर, कोयल सब हैं चहके।
चिड़िया फुदके टहनी-टहनी,
कैसी हंसती क्यारी है।
 
भंवरों में है मस्ती छाई,
शीतल चलती है पुरवाई।
धरती ने भी प्यार लुटाया,
तितली कैसी न्यारी है।
 
सूरज मंद-मंद मुस्काता,
चंदा अपने रूप दिखाता।
तारे सुन्दर गीत सुनाते, 
कुदरत अजब पिटारी है। 

साभार - देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पेट की चर्बी का दुश्मन! ये एक चीज़ आज से ही खाना शुरू कर दें, फिर देखें कमाल!

रक्षा बंधन पर भाई बहन एक दूसरे से हैं दूर तो ऐसे मनाएं ये राखी का त्योहार

रक्षाबंधन, राखी पर शेयर करें ये 10 खूबसूरत संदेश

रक्षाबंधन की तैयारियां: घर को सजाने से लेकर मिठाइयों तक

इस राखी भाई को खिलाएं ये खास मिठाइयां: घर पर बनाना है आसान

सभी देखें

नवीनतम

संस्कृत दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? जानें इतिहास, महत्व और रोचक जानकारी

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं: अपने प्रिय भाई या बहन को भेजें दिल को छू लेने वाले ये 10 यूनिसेक्स मैसेज

सिर्फ 5 सेकंड में 80 हजार लोगों की मौत, अमेरिकी बर्बरता की दिल दहलाने वाली कहानी

जानिए क्या होता है बादल फटना और पहाड़ों पर क्यों ज्यादा होती हैं ये घटनाएं

हिन्दी कविता: अर्द्धनारीश्वर

अगला लेख