मजेदार बाल कविता : बारिश का स्नान...

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- निशेश जार


 
सूरज दादा मई-जून में
क्यों इतना गरमाते।
 
हमको जब छुट्टी मिलती
आग-बबूला हो जाते।।
 
क्या तुमको गुस्सा लगता
हम तो छुट्टी पा जाते।
 
और तुम्हें लगातार ही
खड़ा काम पर कर जाते।।
 
छोड़ो लाल, गाल अब करना
प्यारी सी मुस्कान हमें दो।।
 
बादल जी को जरा पटाकर
बारिश का स्नान हमें दो।।

 
साभार- देवपुत्र 
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