बाल साहित्य : गाने गाते

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- डॉ. श्रीप्रसाद, वाराणसी 


रामधनी के घर जो आए
वे रहते हैं रामनगर
गाना गाते, शोर मचाते 
 
आते फिर दरवाजे पर
रामधनी के वे फूफा हैं
 
जाएंगे अब दिल्ली वे
ले जाएंगे रामधनी की 
भूरी वाली बिल्ली वे
 
बच्चे उनके साथ खेलते 
कभी बैठते कंधे पर 
खड़े हुए हैं साफा बांधे
देखो वे छत के ऊपर। 
 
(यह कविता हमें 'प्रभात' ने भेजी है जयपुर से)

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