बाल कविता : बन जाऊं अध्यापक...

Webdunia
- डॉ. संतकुमार टण्डन 'रसिक'


 
दादाजी पहने हैं चश्मा
दादीजी भी चश्मा।
अब तुमने भी पहन लिया है
चश्मा मेरी अम्मा।।
 
चश्मे में दादा-दादी भी
लगती रौबीली
चश्मे में मेरी अम्मा तुम
लगती बड़ी छबीली।। 
 
दादा-दादी के चश्मे से
देता बड़ा दिखाई।
अम्मा तेरे चश्मे से
देता है दूर दिखाई।।
 
मुझको भी चश्मा लगवा दो
अध्यापक बन जाऊं।
देवपुत्र के अंदर अपनी
मैं तस्वीर छपाऊं।।

साभार- देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

अगला लेख