नई पीढ़ी को सीख देती कविता : संस्कारों की सरस बेल ये...

Webdunia
-हरीश दुबे
 
घर में होती बड़े-बूढ़ों की
छाया नीम सी प्यारी
इनके अनुभव से मिलती है
मंजिल की उजियारी
 
संस्कारों की सरस बेल ये
है स्नेहिल धारा
इनके ही आदर्शों ने तो
घर-संसार संवारा
 
इनके मधुर स्वरों से गूंजे
दोहे प्यारे-प्यारे
धर्म-आस्था की थाती के
हैं बुजुर्ग रखवारे
 
इनके बोलों में जीवन की
तपे स्वर्ण सी आभा
परख जौहरी सी रखते हैं
खूब तराशे प्रतिभा
 
करें बुजुर्गों का आदर हम
भारतीय कहलाएं
हरीश देव वंदित हैं गुणीजन
अपना शीश नवाएं।

साभार- देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बारिश के मौसम में जरूर पिएं ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स, शरीर को देंगे इम्युनिटी, एनर्जी और अंदरूनी गर्माहट

रोने के बाद क्या सच में आंखें हो जाती हैं स्वस्थ? जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक सच

टॉप 7 फूड्स जो मसल्स रिकवरी को तेजी से सपोर्ट करते हैं, जानिए जिमिंग के बाद क्या खाना है सबसे फायदेमंद

दही खाते समय लोग करते हैं ये 8 बड़ी गलतियां, सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

शिव के विषपान प्रसंग पर हिन्दी कविता : नीलकंठ

सभी देखें

नवीनतम

इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है इस तरह की फ्रेंड्स थ्योरी, क्या आपके फ्रेंड सर्कल में हैं ये 7 तरह के लोग

इस वजह से हर साल अगस्त में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे, क्या है इस खास दिन का इतिहास?

बरसात में बढ़ रहे स्किन पर पिंपल्स? बचने के लिए रोज रात करें बस ये एक काम

रोज का खाना बनाने में भूलकर भी न करें इन 3 ऑयल्स का यूज, हेल्थ पर डाल सकते हैं बुरा असर

ये हैं भारत के 5 बड़े मुस्लिम कारोबारी, जानिए किस मशहूर ब्रांड के हैं मालिक और कितनी है संपत्ति

अगला लेख