गर्मी की छुट्टियों पर कविता : सोच रहा हूं...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सोच रहा हूं, इस गर्मी में, 
चंदा मामा के घर जाऊं।
मामा, मामी, नाना, नानी, 
सबको कम्प्यूटर सिखलाऊं। 
 
सोच रहा हूं पंख खरीदूं, 
उन्हें लगाकर नभ में जाऊं।
ज्यादा ताप नहीं फैलाना, 
सूरज को समझाकर आऊं।
 
सोच रहा हूं मिलूं पवन से, 
शीतल रहो उन्हें समझाऊं।
ज्यादा उधम ठीक नहीं है, 
उसे नीति का पाठ पढ़ाऊं।
 
सोच रहा हूं रूप तितलियों का,
धरकर मैं वन में जाऊं।
फूल-फूल का मधु चूसकर, 
ब्रेकफास्ट के मजे उड़ाऊं।
 
सोच रहा हूं कोयल बनकर, 
बैठ डाल पर बीन बजाऊं।
कितने लोग दुखी बेचारे, 
उनका मन हर्षित करवाऊं।
 
सोच रहा हूं चें-चें, चूं-चूं, 
वाली गोरैया बन जाऊं।
दादी ने डाले हैं दाने, 
चुगकर उन्हें नमन करूं।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

बिरसा मुंडा शहीद दिवस आज, जानें उनके वीरता के बारे में

चावल के आटे में इस एक चीज को मिलाकर बनाएं फेस पैक, डेड स्किन हटेगी और दमकने लगेगा चेहरा

हिंदी साहित्य के 15 शीर्ष उपन्यास जिन्हें पढ़े बिना अधूरा है किसी पाठक का सफर

स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की मौत कैसे हुई?

अंतरिक्ष में नई कहानी लिखने की तैयारी, शुभ हो शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

अगला लेख