ग्रीष्म ऋतु पर कविता : तपा अंबर...

सुशील कुमार शर्मा
* गरमी, धूप, लू, घाम, ताप
तपा अंबर
झुलस रही क्यारी
प्यासी है दूब। 
 
सुलगा रवि
गरमी में झुलसे
दूब के पांव। 
 
काटते गेहूं
लथपथ किसान
लू की लहरी। 
 
रूप की धूप
दहकता यौवन
मन की प्यास। 
 
डूबता वक्त
धूप के आईने में
उगता लगे। 
 
सूरज तपा
मुंह पे चुनरिया
ओढ़े गोरिया। 
 
प्यासे पखेरू
भटकते चौपाये
जलते दिन। 
 
खुली खिड़की
चिलचिलाती धूप
आलसी दिन। 
 
सूखे हैं खेत
वीरान पनघट
तपती नदी। 
 
बिकता पानी
बढ़ता तापमान
सोती दुनिया। 
 
ताप का माप
ओजोन की परत
हुई क्षरित। 
 
जागो दुनिया
भयावह गरमी
पेड़ लगाओ। 
 
सुर्ख सूरज
सिसकती नदियां
सूखते ओंठ। 
 
जलते तृण
बरसती तपन
झुलसा तन। 
 
तपते रिश्ते
अंगारों पर मन
चलता जाए। 
 
दिन बटोरे
गरमी की तन्हाई
मुस्काई शाम। 
 
(स्वरचित, कॉपीराइट)
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गर्मियों के मौसम में लगाएं सेब से बना ये फेस पैक, स्किन को मिलेगा भरपूर हाइड्रेशन

पफिनेस से लेकर ओपन पोर्स की समस्या से छुटकारा दिलाती है ये छोटी सी हेबिट

गर्मियों में जान का खतरा बन सकते हैं दुनिया के ये 7 सबसे जहरीले फल

भगवान हनुमान के कल्याणकारी नामों में से चुनें बेटे के लिए नाम, व्यक्तित्व पर होगा महाबली का प्रभाव

कहीं आप भी तो नहीं खा रहे केमिकल वाला तरबूज? घर पर ऐसे करें Fake vs Real वॉटरमेलन का टेस्ट

सभी देखें

नवीनतम

ये किट बनाएगी आपकी छुट्टियों के लुक को स्पेशल और यादगार, नोट कर लें पूरी लिस्ट

समर्स में शरीर की गर्मी बढ़ा देती हैं ये चीजें, पड़ सकते हैं बीमार

kids story : स्टूडेंट का हलवा और ब्रह्म राक्षस

लू लगने के बाद क्या करें? हीट स्ट्रोक से तुरंत राहत पाने के लिए अपनाएं ये 7 आसान होम रेमेडीज

वेट कम करना पड़ा भारी, सर्जरी के बाद महिला हुई पैरालाइज, जानिए क्या हैं इस बैरिएट्रिक सर्जरी के साइड इफेक्ट्स

अगला लेख