बाल साहित्य : कड़क ठंड

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कड़क ठंड में शाला जाना, 
बहुत कठिन है, बहुत कठिन है।
घर से बाहर थोड़ा निकलूं, 
आज नहीं बिलकुल भी मन है।
 
ओढ़ रजाई सो जाऊंगा, 
रखो रूम में हीटर एक।
थर-थर कांप रहा हूं मम्मी, 
आकर मुझको जल्दी देख।

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