दस के बाद बस

- वीरेन्द्र जैन

Webdunia
एक, दो, तीन और चार
गर्मी में तपता बाजार
दो, तीन, चार और पांच
धूप का चश्मा काला कांच।
तीन, चार, पांच और छै
लू का भंगड़ा नाच है।

चार कहे लो छाता साथ
सूरज का देखो उत्पात।
पांच, छै, सात और आठ
हरे वृक्ष अब हो गए काठ।

छ:, सात, आठ और नौ
सारी ठण्डक हो गई खो।
सात, आठ, नौ और दस
राहत देता है खस-खस।

आठ, नौ, दस और ग्यारा
दिन लगता जैसे अंगारा।
नौ और दस की पकड़ो बस
पियो नींबू-पानी रस।

दस के आगे अभी न जाना
बरखा रानी जल्दी आना।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

कंसीलर लगाने से चेहरे पर आ जाती हैं दरारें, तो अपनाएं ये 5 सिंपल टिप्स

क्या होता है Nyctophobia, कहीं आपको तो नहीं हैं इसके लक्षण?

चेहरे पर रोज लगाती हैं फाउंडेशन? हो सकती हैं ये 7 स्किन प्रॉब्लम

अंगड़ाई लेने से सेहत रहती है दुरुस्त, शरीर को मिलते हैं ये 5 फायदे

रोज लगाते हैं काजल तो हो जाएं सावधान, आंखों में हो सकती हैं ये 5 समस्याएं