बाल कविता : मनोबल

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- अंशुमन दुबे (बाल कवि) 

अपने मनोबल को इतना सशक्त कर,
कठिनाई भी आने से जाए डर।
आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर,
बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं कोई असर।।
 

 
हौसला अपना बुलंद कर लो,
साहस व हिम्मत को संग कर लो।
निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो,
संयम व धैर्य से सफलता की सीढ़ी चढ़ो।
 
जब कभी कर्तव्य के मार्ग पर,
विपत्ति व विघ्न तुम्हें सताएंगे।
जब कभी हारकर या विवश होकर,
निराशा के बादल छा जाएंगे।
 
हार न मानने का जज्बा तुम्हें उठाएगा,
तुम्हारा अडिग हौसला तुम्हें बढ़ाएगा।
आखिरकार देखना तुम्हारे आगे,
धरती हिल जाएगी, आसमां झुक जाएगा।
 
भय-विस्मय का अब अंत करो,
आते हुए दुखों को पसंद करो।
कर्म ज्यादा व बातें चंद करो,
हौसला अपना इतना बुलंद करो।
 
दुखों का पहाड़ टूटने पर भी,
सीना ताने खड़ा रह पाएगा।
दर्द का अंबार फूटने पर भी,
सर उठाकर सतत् चलता जाएगा।
 
जो अपने पक्के इरादों के आगे,
मुसीबतों के घुटने टिका जाएगा।
वही सुदृढ़ मनोबल वाला मनुष्य,
जिंदगी की यह जंग जीत पाएगा।

साभार- छोटी-सी उमर (कविता संग्रह) 
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