बाल साहित्य : बुलेट ट्रेन में कहीं चलें

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बुधवार, 24 सितम्बर 2014 (15:25 IST)
बच्चों, मुझे लग रहा है कि अपने देश में बुलेट ट्रेन बहुत जल्दी चलेगी। मैंने तो कविता भी लिख ली है। पढ़ोगे?


 
चलो फटाफट टिकट कटा लें,
बुलेट ट्रेन में कहीं चलें। 
 
घंटे भर में छिंदवाड़ा से,
जबलपुर पहुंचा देगी। 
तेज चाल की यह गाड़ी तो,
सचमुच मजा बहुत देगी। 
मढ़ाताल में नाना रहते,
उनसे चलकर अभी मिलें। 
 
रॉकेट की रफ्तार चलेगी,
अब तो दिल्ली दूर नहीं। 
पेसिंजर की सुस्त चाल से,
चलने को मजबूर नहीं। 
चलो बैठकर इस गाड़ी में,
अपने संसद भवन चलें। 
 
छिंदवाड़ा से दूर नहीं अब,
महानगर इंदौर रहा। 
ठौर-ठिकाना चाचाजी का,
कई दिनों से यहीं रहा।
चाचीजी से मिलना है झट,
इस गाड़ी से निकल पड़ें।
 
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में