कहानी : वीरों की हिंसा...

Webdunia
भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव बलिदान दिवस
- शिवकुमार गोयल
 
वर्ष 1967 की बात‍ है। गांधीजी के प्रमुख शिष्य आचार्य विनोबा भावे उन दिनों आचार्यों के एक समारोह में भाग लेने मुंगेर (बिहार) आए हुए थे। मुंगेर के उत्साही राष्ट्रभक्तों ने शहीद-ए-आजम सरदार भगतसिंह की प्रतिमा एक सार्वजनिक स्थल पर स्‍थापित करने की तैयारी की हुई थी।

कुछ युवा नेताओं ने बैठक में सुझाव रखा कि क्यों न संत विनोबाजी से ही मूर्ति का अनावरण करा दिया जाए? 

23 मार्च : भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव शहीद दिवस
 
एक नेता ने कहा- 'गांधीजी भग‍तसिंह के हिंसा के रास्ते का विरोध करते थे। शायद विनोबाजी उनकी मूर्ति का अनावरण करने की स्वीकृति न दें।
 
युवकों का प्रतिनिधिमंडल विनोबाजी के पास पहुंचा। हिचकिचाते हुए उनसे भगतसिंह की मूर्ति का अनावरण करने का अनुरोध किया गया। विनोबाजी उनके चेहरे को देखते ही समझ गए तथा बोले- 'गांधीजी कभी भी अपनी बात किसी पर थोपते नहीं थे। हम सबको अपनी इच्‍छा की पूर्ति का मौलिक अधिकार देते थे।

दूसरी बात यह है कि मैंने तो सरदार भगतसिंह की प्रेरणा से ही घर-परिवार छोड़ा था। उनकी हिंसा वीरों की हिंसा थी। मैं मूर्ति का अनावरण कर उनके ऋण से उऋण हो जाऊंगा।' और उन्होंने गर्व के साथ भगतसिंह की मूर्ति का अनावरण किया। 

साभार -देवपुत्र 
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

सभी देखें

नवीनतम

मेरे पापा मेरी जान हैं, मेरे जीवन की पहचान हैं... फादर्स डे पर पापा को डेडिकेट करें ये 20 दिल छू लेने वाली शायरियां

दिल को रखना है हमेशा फिट और मजबूत? तो करें ये 3 योगासन, हेल्दी हार्ट के लिए हैं बेस्ट

59 की उम्र में खुद को जवान रखने के लिए मिलिंद सोमन खाते हैं ये सुपर फ्रूट , जानिए सेहत के लिए कैसे है फायदेमंद

पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 11 वर्ष पूरे, जानिए कैसे बने नरेंद्र मोदी सफल लीडर, जरूर लें ये 5 खास टिप्स

देश को छोटा दिखाने का अपकर्म न करें

अगला लेख