एक किसान था भोला-भाला, सीधा-सादा। उसे घर में मेहमानों की आवभगत करने में बड़ा मजा आता। उसकी बीवी इस आदत से बड़ी परेशान थी। एक दिन फिर वह मेहमान को लेकर आया। बीवी को सूझी चालाकी। उसने चतुराई से किसान को हाथ-पैर धोने भेजा और बैठ गई मेहमान के पास।
कहने लगी- 'क्या करूं, इनका तो दिमाग खराब है। किसी को भी पकड़ लाते हैं और फिर उसे मूसल से मारते हैं।'
मेहमान घबराकर अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर भागा। इतने में किसान अंदर से आया। मेहमान को जाता देख पत्नी से पूछा- 'वो कहां जा रहे हैं?'
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वह बोली- 'अरे... कुछ नहीं सासू मां की आखिरी निशानी मूसल मांग रहे थे।' मैंने मना कर दिया तो नाराज होकर जाने लगे।
किसान चिल्लाया- 'कैसी औरत है? मूसल बड़ी या पावणे। ठहर जा, मैं उन्हें मूसल देकर आता हूं।'
किसान मूसल लेकर दौड़ा और मेहमान उसे देखकर और तेजी से दौड़ने लगा।
ये सोचते हुए कि औरत सही कहती थी। किसान सच में पागल है।