शिक्षाप्रद कहानी : वस्तु का मूल्य

कहानी : मूल्यवान वस्तु

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जौनपुर में एक धनवान आदमी रहता था। उसके पास एक प्राचीन स्वर्ण पात्र था।

वह सोचता था कि जब कोई महत्वपूर्ण मौका आएगा, तब उसे निकालेगा।

एक बार उसके यहां राज्य का एक मंत्री आया। तब उसने सोचा महज एक मंत्री लिए इसे निकालूं? किसी बड़े आदमी के सामने उसे निकालूंगा।

आगे पढ़े क्या है धनवान की सोच




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अगली बार उसके यहां एक संत पधारे तो उसने सोचा भला संत इसकी कद्र क्या जानेंगे?

आगे पढ़े राजा और स्वर्ण पात्र



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एक बार उसके यहां राजा आया। उसने राजा के साथ भोजन किया, किंतु उसे लगा कि वह पात्र राजा की तुलना में अधिक गौरवप्रद है। जब उसके बच्चों की शादी हुई तब भी उसने वह स्वर्ण पात्र नहीं निकाला।

दिन गुजरते गए व एक दिन उसकी मौत हो गई। उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

आगे पढ़े - आखिर किसे मिला वह स्वर्ण पात्र



शिक्षा
इसीलिए मूल्य या महत्व की दृष्टि से मूल्यवान चीजों का यथा अवसर उपयोग कर लेना चाहिए। उन्हें बचाए रखने का लोभ व्यक्ति को उसके उपयोग से वंचित कर देता है। इतना ही नहीं उन चीजों के गलत हाथों में जाने की आशंका भी रहती है।

तेरहवीं के बाद साफ-सफाई की गई तो वह पात्र अन्य सामान के साथ मिला। वर्षों से पड़े रहने के कारण वह गंदा हो गया था। लगता ही नहीं था कि स्वर्ण पात्र है।

बच्चों ने काम की चीजें निकाल कर पास रख ली व वह पात्र नौकरों को भोजन करने को दे दिया।



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