वर्षा बुलाने की विचित्र प्रथाएँ

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- हेमराज प्रजापत ि
कोरिया में मछलियॉँ और मेंढक वर्षा के देवता कहलाते हैं। वर्षा के दिनों में जब काफी समय तक वर्षा नहीं आती तो यहाँ के लोग मछली और मेंढक के आकार की बड़ी-बड़ी पतंगें आसमान में उड़ाते हैं।

उनकी मान्यता है कि देवता मेंढक और मछली की आकृति कोसमीप देखकर प्रसन्ना हो उठते हैं और तेज वर्षा करते हैं।

मिस्र में छोटी उम्र की लड़कियाँ झुंड बना हाथों में फूल रखकर नदी के किनारे तक जाती हैं। मिस्रवासियों की मान्यता है कि इससे बादल प्रसन्ना होकर वर्षा करते हैं।

फिजी में ऊँचे पहाड़ों पर चढ़कर सफेद कबूतरों को आसमान की तरफ उड़ाया जाता है। कबूतरों से वर्षा के मेघ लेकर आने को कहा जाता है। फिजीवासियों की मान्यता है कि जब कबूतर लौटते हैं तो सचमुच वर्षा होने लगती है।

स्कॉटलैंड में मुर्गों की लड़ाई कराई जाती है। मुर्गे जितना ज्यादा लड़ते हैं, उतनी ही तेज वर्षा की कल्पना की जाती है।

ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी वर्षा बुलाने के लिए पहाड़ों पर चढ़कर बड़ी संख्या में तीर आकाश की ओर छोड़ते हैं। इनका विश्वास है कि उनके द्वारा छोड़े गए तीर पानी के बादल को तोड़ देते हैं और इससे वर्षा आती है।

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