इसके साथ ही गर्म पानी को शक्तिशाली पम्प के जरिए लगातार बाहर निकाला जाता है और ताजा व ठंडा पानी कोर रिएक्टर में सप्लाय किया जाता है। बची हुई भाप कूलिंग टॉवर के जरिए बाहर निकल जाती है। ताजे पानी की सतत सप्लाय तथा कंट्रोलिंग रॉड्स से रिएक्टर का तापमान नियंत्रण में रखा जाता है। यह रिएक्टर की कूलिंग प्रणाली होती है। इस पूरे प्लांट को बेहद मजबूत कांक़्रीट की दीवार के भीतर रखा जाता है।
किसी दुर्घटना और अन्य कारण से अगर संयंत्र की बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो कूलिंग प्रणाली के ठप्प होने से तापमान अनियंत्रित हो जाता है। परिणाम यह होता है कि फ्युल रॉड्स में अनियंत्रित विखंडन से उत्पन्न अत्यधिक तापमान की वजह से रिएक्टर पिघलना शुरू हो जाता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से उच्च दाब के कारण प्लांट में शक्तिशाली धमाका होता है जो रेडियोधर्मी विकिरण को दूर तक वातावरण में फैला देता है।