इस मानचित्र को बनाने वाले टिम स्ट्रॉंग कहते हैं कि सबमरीन केबल बेहद महंगी पर जबरदस्त क्षमता वाली तकनीक है। जहां कुछ केबल 20 जीबीपीएस की क्षमता रखती हैं वहीं कुछ केबल कई टेराबाइट क्षमता की भी हैं (एक टेराबाइट = 1 हजार गीगाबाइट) औसत घरेलू इंटरनेट कनेक्शन आमतौर पर 1-50 मेगाबाइट प्रति सेकेंड क्षमता के होते हैं।
अब और भी आधुनिक हाई-टेक केबल का इस्तेमाल हो रहा है। 1 मिलियन पॉंउंड की लागत से बने इलेक्ट्रॉनिक रिपीटर्स हाई पॉवर लेसर से डाटा प्रवाह की उच्च गति को बनाए रखते हैं। इन्हें बिजली की सप्लाय देने के लिए ऑप्टिक फॉइबर केबल के बराबर एक इलेक्ट्रिक लाइन भी डाली जाती है। यह केबल कितनी उच्च क्षमता की है इसका अंदाजा अमेरिका और ब्रिटेन के बीच बिछी 7600 मील लंबी केबल से पता चलता है। यह केबल 3.2 टीबीपीएस स्पीड को अमेरिका से ब्रिटेन तक पहुंचाने में मात्र 0.00072 सेकेंड का समय लेती है।
टिम बताते हैं कि हर केबल पर सालाना 10 मिलियन डॉलर का रखरखाव खर्च आता है। साधारण गार्डन पाइप जितनी मोटी यह केबल नौ भागों से बनी होती है। केबल ऑपरेटर इन केबलों की मरम्मत जहाज के जरिए करते हैं, इन जहाजों का एक दिन का किराया ही 10 हजार डॉलर तक होता है।
लेकिन इन केबलों को नुकसान पहुंचने के नतीजे बड़े ही डरावने हो सकते हैं। सिसली और मिस्र के बीच महासागर में सिर्फ एक केबल के टूट जाने से भारत की 50 प्रतिशत इंटरनेट सेवा ठप्प पड़ गई थी जिस वजह से आईटी उद्योग और शेयर मार्केट को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। ( वेबदुनिया न्यूज)