यही नहीं कि गुमनाम हैकर उनमें सेंध लगा कर महत्वपूर्ण या गोपनीय जानकारियाँ चुरा सकते हैं या इन सर्वरों को ठप्प कर सकते हैं, चीन जैसे देशों की स्वयं सरकारें भी कंप्यूटर जासूसी को शह देने के लिए बदनाम हैं। आरोप लगते रहे हैं कि चीन की निजी कंपनियाँ ही नहीं, सरकारी विभाग भी इंटरनेट के माध्यम से दूसरे देशों में सैनिक और राजनैतिक ही नहीं, औद्योगिक जासूसी में भी लिप्त हैं। जब क्लाउड कंप्यूटिंग के सर्वर चीन जैसे देशों की अपनी भूमि पर होंगे, तब क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है।
आईटी कर्मियों की राय : जर्मन आईटी कंपनियों का संघ बिटकॉम क्लाउड कंप्यूटिंग की ज़ोरशोर से ढोल पीट रहा है। लेकिन हनोवर के सेबिट मेले के समय यह भी सुनने में आया कि कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने वाली एक जर्मन कंपनी ने जब इस बारे में 12 देशों में आईटी कर्मियों की राय पूछी, तो पाया कि जर्मनी के 86 प्रतिशत आईटी कर्मियों की राय अनुकूल नहीं थी।
जर्मनी के लोगों का मानना है कि डेटा सुरक्षा के नियम और उनका परिपालन जितना प्रभावकारी जर्मनी में है उतना और कहीं नहीं। इसलिए, वे ऐसी कंपनियों की आईटी सेवाएँ लेना पसंद नहीं करेंगे, जिनका सर्वर जर्मनी में नहीं, कहीं और हो।
इस में कोई शक नहीं कि क्लाउड कंप्यूटिंग के कई लाभ हैं और उससे बच सकना शायद उसी तरह संभव नहीं होगा, जिस तरह आज के कंप्यूटर नियंत्रित जीवन से बचना संभव नहीं है। लेकिन, इस अदृश्य बादल के असीमित विस्तार से बेतार इंटरनेट सहित सभी दूरसंचार सेवाओं के चरमरा जाने की आशंका और डेटा- सुरक्षा की चिंता को देखते हुए उसकी अंधी प्रशंसा भी नहीं की जा सकती।
यह भी नहीं भूल जाना चाहिये कि क्लाउड कंप्यूटिंग के बादल छाते ही इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन के एकमुशत किराये (फ्लैटरेट) की अर्थी उठ जायेगी। इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन सेवाएँ भी और मँहगी हो जायेगी।
( सभी चित्र सेबिट मेले के सौजन्य से)