मंगल पर मिले बहते पानी के संकेत

Webdunia
शुक्रवार, 5 अगस्त 2011 (16:09 IST)
लगता है कि सैकड़ों साल से मानव जिज्ञासा का केन्द्र बने मंगल ग्रह के राज एक-एक कर उभर रहे हैं। पहले वहां बर्फ के भंडार होने का पता चला कि और अब ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ खास मौसमों में उसकी सतह पर पानी भी बहता है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल के दक्षिणी हिस्से में स्थित न्यूटन क्रेटर की टाइम सिक्वेंस इमेजरी में तीखे ढलान पर अंगुलियों जैसे निशान उभरा करते हैं जो तापमान में गिरावट के बाद गायब हो जाते हैं। मार्स रिकॉनायसां आरबाइटर के चित्रों में दिखने वाले ये निशान क्रेटरों के किनारों से छलक कर बहने वाले नमकीन पानी का बहाव हो सकता है।

वैज्ञानिक लुजेन्द्र ओझा और एरिजोना विश्वविद्यालय के उनके सहयोगियों का अब दावा है कि यह खोज अंतत: यह स्थापित करने में मदद कर सकती है कि क्या मंगल पर जीवन टिक सकता है।

ओझा ने कहा कि मैं दंग रह गया जब मैंने पहली बार इन्हें देखा। हमने जल्द ही महसूस किया कि वे ढलान की धारियों से भिन्न हैं जिन्हें हमने पहले देखा था। ये बेहद मौसमी थे और हमने पाया कि धरती के दो महीनों की छोटी सी अवधि में उनमें से कुछ 200 मीटर से ज्यादा बढ़ गए।

ओझा के सहयोगी अल्फ्रेड मैकइवेन वैज्ञानिक पत्रिका ‘साइंस’ में अपने निष्कषरें की व्याख्या करते हुए कहते हैं, ‘‘यह अभी एक राज है, लेकिन मैं समझता हूं कि और अवलोकन एवं प्रयोगों से हल होने वाला राज है।

मैकइवेन ने कहा कि अब तक इन अवलोकनों पर हमने जो सर्वश्रेष्ठ व्याख्या पाई वह नमकीन पानी का बहाव है, लेकिन यह अध्ययन इसे साबित नही करता। डेली एक्सप्रेस ऑनलाइन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि यह तिलिस्मी निशान मंगल ग्रह के विषुवद् के दक्षिण में कई तीखे ढलान में हैं जो निशान जाड़ों में गायब हो जाते हैं और वसंत के दौरान फिर से उभर जाते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार पानी सतह पर बहता नहीं देखा गया है और गहरे रंग का गुच्छ सतह से नीचे पानी की मौजूदगी का द्योतक हो सकता है।

जब खगोलशास्त्रियों ने गहराई से देखने की कोशिश की, उनका उपकरण पानी की मौजूदगी की पुष्टि करने में नाकाम रहा। बहरहाल, मैकएवेन ने कहा कि यह इस कारण से भी हो सकता है कि सतह पर आने पर पानी बहुत तेजी से सूख जाता हो और जांच के वक्त वह वहां मौजूद नहीं हो।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लाल ग्रह पर सक्रिय तरल पानी की मौजूदगी का पहला निर्णायक साक्ष्य होगा। और अगर ऐसा हुआ तो यह जीवन के संकेतों की खोज का केन्द्र बन जाएगा। (भाषा)

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