60 के बाद सठियाते नहीं है

शरीर बूढ़ा होता है दिमाग नहीं

Webdunia
बी. मयंक
रतन टाटा, देवानंद, लालकृष्ण आडवाणी और प्रोफेसर यशपाल यह सब अपनी उम्र के 8 दशक पार कर चुके हैं और उम्र के इस पड़ाव पर पहुँचकर भी ये सभी मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्रिय हैं। लोग इनकी सक्रियता के जो भी कारण बताएँ लेकिन ये सभी उन तथ्यों को झूठलाते हुए नजर आते हैं। जिनमें कहा जाता है कि 60 वर्ष की उम्र के बाद इंसान का दिमाग कमजोर होना शुरू हो जाता है और वह दिमागी रूप से उतना सक्रिय नहीं रह पाता जितना कि 18 से 40 वर्ष की उम्र में रहता है।

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ऊपर हमने जिन हस्तियों का जिक्र किया है वे सब अपने-अपने क्षेत्र में मशहूर हैं और इनकी कार्यक्षमता शारीरिक न होकर पूरी तरह मस्तिष्क पर आधारित है।

अगर 60 वर्ष की उम्र के बाद इंसान का दिमाग कमजोर हो जाता है तो ये लोग कैसे इतनी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं? इनके पास भी वही दिमाग है जो रिटायर हो चुके एक आम बुजुर्ग के पास होता है। वैज्ञानिक धारणाओं के अनुसार यह सिर्फ एक मिथ है जिसमें लोग अपने मन में ही यह विचार बना लेते हैं कि बुढ़ापा आने पर दिमाग ठीक से काम नहीं करता। शरीर के साथ दिमाग भी कमजोर हो जाता है और याददाश्त पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है।

वैज्ञानिक शोधों के अनुसार जैसे ही व्यक्ति सीनियर सिटीजन की श्रेणी में पहुँचता है, उसके भीतर सबसे ज्यादा कमी आत्मविश्वास की हो जाती है। इस कमी के चलते वह जीवन में रिस्क लेने से डरने लगता है। यह डर उसे तरह-तरह के प्रयोगों से दूर कर देता है और उसकी जीवनशैली एक ढर्रे में बँधकर रह जाती है। यहीं से दिमाग की कार्यक्षमता क्षीण होनी शुरू हो जाती है।

शोध कार्यों के आधार पर ज्ञात हुआ है कि मानव मस्तिष्क का विकास हमेशा ऊपर की ओर होता है। जैसे-जैसे बौद्धिक मांसपेशियाँ वयस्क होती है, वैसे ही आपके दिमाग की क्षमता बढ़ती जाती है। कुछ शोध यह भी मानते रहे कि मनुष्य के दिमाग में मौजूद मांसपेशियाँ 40 वर्ष की उम्र में अपने विकास के चरम पर होती है। इसके बाद इनका पतन शुरू हो जाता है।

60 से 70 साल की उम्र में ये इस स्थिति पर पहुँच जाती है कि मस्तिष्क नई सूचनाओं को ग्रहण तो कर लेता है लेकिन इन्हें ज्यादा समय तक अपने पास नहीं रख पाता।

यह तथ्य फिलहाल तो खारिज कर दिया गया है। मस्तिष्क पर हुए नए शोध के आधार पर यह मालूम पड़ा है कि 35 से 65 वर्ष की उम्र के बीच मानव मस्तिष्क सबसे ज्यादा विकास करता है। इस उम्र के बाद भी मस्तिष्क विकसित होता रहता है। बशर्ते इसे नियमित रूप से इस्तेमाल में बनाए रखा जाए। जैसे-जैसे हम मस्तिष्क का इस्तेमाल कम करने लगते हैं, वैसे-वैसे इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है।

उम्र बढ़ने के साथ अगर मस्तिष्क का कोई हिस्सा प्रभावित होता है तो वह है शॉर्ट टर्म मैमोरी वाला हिस्सा। 65 वर्ष की आयु के बाद मस्तिष्क में ज्यादा डाटा स्टोर नहीं किया जा सकता। शॉर्ट टर्म मेमोरी उस तरह से काम करना बंद कर देती है जैसे 50 वर्ष की उम्र तक करती रहती है।

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आप अगर 65 वर्ष की उम्र के बाद यह सोचें कि आप यूनिवर्सिटी का एग्जाम क्वॉलिफाई कर लेंगे तो इसमें आपको परेशानी होगी। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ चीजों के बारे में आपका भ्रम भी बढ़ता जाता है। लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि आपका दिमाग उम्र बढ़ने के साथ कमजोर होता जा रहा है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय(अमेरिका) के न्यूरोलॉजिस्ट जॉर्ज बार्टजोकिस का कहना है ' आधी उम्र बीत जाने के बाद आप अपने दिमाग में मौजूद जानकारियों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं। हर दिन बीतने के साथ आपकी दिमागी क्षमता सेकंड के हिसाब से बढ़ती जाती है। इसे अगर बायोलॉजिकल व्यवस्था के आधार पर आँके तो आपके बौद्धिक स्तर की सर्वश्रेष्ठ अवस्था यही होती है।

मस्तिष्क पर अब तक जो भी अध्ययन हुए हैं उनमें से ज्यादातर में मस्तिष्क को ऐसी उपाधि दी गई है जिसका ज्यादा इस्तेमाल ना होने पर इसमें जंग लग जाती है। उम्र बढ़ने के बाद अगर हम इसके इस्तेमाल में कंजूसी करने लगते हैं तो दिमाग का कमजोर होते जाना स्वाभाविक है।

जितना ज्यादा आप इसका इस्तेमाल करेंगे, यह उतनी ही अच्छी तरह काम करता रहेगा। अध्ययनों के अनुसार मानव मस्तिष्क की क्षमता इतनी अधिक है कि एक आम व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में मस्तिष्क की क्षमता का सिर्फ 2 प्रतिशत ही इस्तेमाल में ला पाता है। अब तक जिस व्यक्ति ने मस्तिष्क का सब से ज्यादा इस्तेमाल किया है, वह अल्बर्ट आइंस्टीन रहे हैं। आइंस्टीन ने अपनी दिमागी क्षमता का 8 प्रतिशत इस्तेमाल किया था।

ड्यूक यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के न्यूरोलॉजिस्ट रॉबर्टो काबेजा ने इंसान के दिमा की ताकत को आँकने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने तीन समूह बनाए। एक समूह में 65 से 95 वर्ष के ऐसे लोगों को रखा जो रिटायरमेंट के बाद पूरी तरह निष्क्रिय होते हैं। दूसरे समूह में 20 से 40 वर्ष के वयस्कों को शामिल किया और तीसरे समूह में 65 से 95 वर्ष के उन लोगों को शा‍मिल किया जो उम्र बढ़ने के बावजूद बौद्धिक व शारीरिक रूप से युवाओं को टक्कर देते हैं।

इसके बाद रॉबर्टो ने इन तीन समूह के लोगों से कुछ रचनात्मक व बौद्धिक क्षमता वाले सवाल किए। आपको यकीन नहीं होगा कि इन सवालों का सबसे अच्छा जवाब तीसरे समूह के लोगों ने दिया। जिसमें 65 से 95 साल के वे लोग शामिल थे जो उम्र बढ़ने के साथ ही मस्तिष्क का बराबर इस्तेमाल करते रहे।

इन तमाम तथ्यों और शोधों के आधार पर इतना तो साफ हो जाता है कि बुढ़ापा आने का यह अर्थ कतई नहीं है कि आप शरीर के साथ दिमाग से भी कमजोर हो गए हैं बल्कि सीनियर सिटीजन की श्रेणी में आने के बाद आपका दिमाग और भी ज्यादा तेजी से काम करने लगता है। कौन कहता है आप बूढ़े हो गए हैं, अपने दिमाग का भरपूर इस्तेमाल कर उन्हें दीजिए एक शानदार जवाब।

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