पैदल चलने से याददाश्त बढ़ती है

शार्प मेमोरी के लिए रोज चलें

राम यादव
ND
यह तो पहले से ही जाना जाता है कि मधुमेह, हृदयरोग, पीठ और कमर दर्द, मोटापा जैसी अनेक बीमारियाँ, जो आरामदेह आधुनिक जीवनशैली की देन बन गयी हैं, शारीरिक श्रम और चलने-फिरने में कमी का परिणाम हैं। इसलिए, उनसे बचने का (और कई बार उनसे छुटकारा पाने का भी) सबसे सस्ता और तर्कसंगत उपाय यही है कि हर दिन कुछ मेहनत की जाए और चला-फिरा जाए। यह भी सिद्ध हो चुका है कि खेलने- कूदने या हर दिन करीब दो किलोमीटर पैदल चलने से स्मरणशक्ति बढ़ती और लंबे समय तक अच्छी बनी रहती है।

हर दिन पैदल चलना इस बीच एक ऐसी रामबाण दवा बनता जा रहा है, जिसके नित नए लाभ सामने आ रहे हैं। अमेरिका में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकों ने इस बीच पाया है कि हर सप्ताह औसतन 8 किलोमीटर आराम से पैदल चलने या पैदल हवाखोरी करने से मस्तिष्क की कोशिकाओं का जीवनकाल लंबा होता है और याददाश्त भी लंबे समय तक बनी रहती है।

यह निष्कर्ष उन्होंने निकाला है स्वेच्छा से सामने आए 426 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर। दस वर्ष तक चले इस अध्ययन के शुरू में 299 वयस्क पूरी तरह स्वस्थ थे। लेकिन, बाद में समय के साथ 127 सहभागियों की बौद्धिक क्षमता कुछ घटने लगी। शोधकर्ता नियमित समयों पर उनसे पूछा करते थे कि वे क्या शारीरिक क्रियाएँ करते हैं? कितना चलते-फिरते हैं? और यह भी देखते थे कि उनकी स्मरणशक्ति का क्या हाल है।

10 साल बाद शोधकों ने इन लोगों के दिमागों की स्क्रीनिंग की। यदि मस्तिष्क का आकार पहले जैसा ही था, सिकुड़ा नहीं था, तो इसका मतलब था कि वह स्वस्थ और सामान्य है। मस्तिष्क की कोशिकाओं की संख्या घटी नहीं है। लेकिन, ऐसा केवल उन्हीं प्रतिभागियों में पाया गया, जो शारीरिक श्रम करने और चलने फिरने के मामले में दूसरों से कहीं सक्रिय थे। जिन लोगों में इस सक्रियता की कमी थी, उनका मस्तिष्क पहले जितना बड़ा नहीं रह गया था।

स्पष्ट था कि शारीरिक सक्रियता से दिमाग़ भी सक्रिय रहता है, उसकी बौद्धिक क्षमता बनी रहती है। इससे उम्र ढलने के साथ भुलक्कड़पन बढ़ने के अल्जाइमर रोग की भी रोकथाम हो सकती है। आलोइस अल्जाइमर एक जर्मन डॉक्टर थे, जिन्होंने सबसे पहले इस रोग को पहचाना और उसके लक्षण बताया था।

पहले यह रोग 70-80 साल की आयु के बाद ही होता था, लेकिन अब इससे कहीं पहले होने लगा है। इस रोग में मस्तिष्क की वे कोशिकाएँ तेजी से मरने लगती हैं, जो चीजें याद रखने में काम आती हैं। ऐसी भी हालत आ सकती है कि रोगी अपने घर के लोगों तक को पहचान न सके। अमेरिकी शोधकों की सलाह है कि जो अपनी स्मरणशक्ति में गिरावट महसूस कर रहा हो, उसे हर सप्ताह 8 किलोमीटर पैदल चलना चाहिए। इससे उसके मस्तिष्क का सिकुड़ना टल सकता है या उसकी गति धीमी पड़ सकती है। तब उसकी स्मरणशक्ति भी लंबे समय तक बनी रहेगी।

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