Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कुंडली में बृहस्पति यदि है केंद्र में और रखेंगे सावधानी तो जीवन तर जाएगा

हमें फॉलो करें कुंडली में बृहस्पति यदि है केंद्र में और रखेंगे सावधानी तो जीवन तर जाएगा

अनिरुद्ध जोशी

लाल किताब के अनुसार पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के होने से जीवन तर जाता है और व्यक्ति हर तरह के सुख पाता है परंतु इसके लिए छोटीसी सावधानी रखने की जरूरत है। आओ जानते हैं कि क्या करना चाहिए।
 
 
1. पहला खाना : पहले खाने में गुरु का होना अर्थात गद्दी पर बैठा साधु, राजगुरु या मठाधीश समझो। ऐसे जातक की जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी दौलत भी बढ़ती जाएगी। 
 
सावधानी : यदि शनि पांचवें घर में होतो खुद का मकान न बनाएं। शनि नौवें घर में है तो स्वास्थ्य का ध्यान रखें। राहु यदि आठवें या ग्यारहवें घर में होतो पिता का ध्यान रखें। झूठ ना बोलें और पिता, दादा और गुरु का आदर करें। विवाह या अपनी कमाई से चौबीसवें या सत्ताइसवें साल में घर बनवाना जातक की पिता की उम्र के लिए ठीक नहीं होगा। सत्य बोलना। आचरण को शुद्ध रखना।
 
2. चौथा खाना : पानी में तैरता ज्ञान। स्त्री, दौलत और माता का सुख। खुद का आलीशान मकान। यहां यदि उच्च का गुरु है तो प्रसिद्ध पाएगा। 
 
सावधानी : दसवें घर में गुरु के शत्रु ग्रह हैं तो सवधानी बरतें। बदनामी हो सकती है। बहन, पत्नी और मां का सम्मान करें।
 
3. सातवां खाना : ऐसा साधु जो न चाहते हुए भी गृहस्थी में फंस गया है। यदि बृहस्पति शुभ है तो ससुराल से मिली दौलत बरकत देगी। ऐसा व्यक्ति आराम पसंद होता है लेकिन यही उसकी असफलता का कारण भी है।
 
सावधानी : घर में मंदिर रखना या बनाना अर्थात परिवार की बर्बादी। कपड़ों का दान करना वर्जित। पराई स्त्री से संबंध न रखें।
 
4. दसवां खाना : ऐसा गृहस्‍थ जो बच्चों को अकेला छोड़कर चला जाए। यहां बैठा गुरु अशुभ फल देता है। यदि शनि अच्छी स्थिति में हो तो शुभ फल। चौथे घर में शत्रु ग्रह हो तो अशुभ।
 
सावधानी : ईश्वर और भाग्य पर भरोसा न करें। श्रम और कर्म हो ही अपनाएं। दूसरों की भलाई पर ध्यान न दें। शादी के बाद किसी भी दूसरी स्त्री से संबंध न रखें अन्यथा सब कुछ बर्बाद। यदि शनि 1, 10, 4 में हो तो किसी को खाने या पीने की कोई भी वस्तु न दें। दया का भाव घातक होगा। 
 
लाल किताब की कुंडली अनुसार यदि दसवें भाव में गुरु है तो ऐसे जातक को घर में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। कुछ स्थितियों में चौथे और सातवें भाव में गुरु है तो भी घर में मंदिर या पूजाघर बनाना नुकसानदायक हो सकता है। खासकर ऐसा मंदिर जिसमें गुंबद या जिसका शिखर हो। 
 
इसके अलावा घर में बड़ी-बड़ी मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए। हो सकता है कि यह मूर्तियां देवी या देवता की ना होकर बस सजावट हेतु ही हो। हालांकि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर यह निर्णय लें तो बेहतर होगा।
 
अन्य सावधानी
*गुरु सप्तम भाव में हो तो कपड़ों का दान न करें।
*गुरु दशम या चौथे भाव में है तो घर या बाहर मंदिर न बनवाएं।
*गुरु नवम भाव में है तो मंदिर आदि में दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु पांचवें भाव में है तो धन का दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु बलवान होने पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए।
*पिता, दादा, गुरु, देवता का सम्मान नहीं करता है तो बर्बादी।
*झूठ बोलने और धोखा देने से भी बर्बादी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्री राधा और सीता के 10 अंतर और समानताएं आपको अचरज में डाल देंगी