लाल किताब हस्तरेखा : हथेली में कौनसा ग्रह कहां‍ स्थित है, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 25 दिसंबर 2019 (11:54 IST)
लाल किताब सामुद्रिक शास्त्र की हस्तरेखा पर आधारित ज्योतिषीय विज्ञान है। हस्तरेखा के विशेषज्ञ बने बगैर आप लाल किताब के विशेषज्ञ नहीं बन सकते। लाल किताब का हस्तरेखा विज्ञान आम हस्तरेखा विज्ञान से थोड़ा भिन्न है। जैसे, लाल किताब में राहु और केतु की स्थिति मणिबद्ध में होती है, जबकि प्रचलित हस्तरेखा अनुसार हथेली के मध्य में।
 
 
हमारी हाथ की हथेली के दो हिस्से हैं। एक अंगुलियों का हिस्सा और दूसरा हथेलियों का हिस्सा है। अंगुलियों के हिस्से में राशियों के पोर है और हथेली में ग्रहों के पर्वत हैं। इस बार जानिए कि हथेली में कौनसा ग्रह कहां माना गया है।
 
 
अंगुलियों के नीचे के पर्वत :
हाथ पर अंगूठे और अंगुलियों की जड़ों में बने पर्वत जैसे अंगूठे के नीचे बना शुक्र और मंगल का पर्वत। पहली अंगुली के नीचे बना गुरु का पर्वत। बीच की अंगुली के नीचे बना शनि का पर्वत। अनामिका (रिंग फिंगर) के नीचे बना सूर्य पर्वत। सबसे छोटी अंगुली के नीचे बना बुध का पर्वत होता है। हाथ के अन्त में बना चंद्र पर्वत और खराब मंगल का पर्वत होता है जबकि जीवन रेखा की समाप्ति स्थान कलाई के ऊपर पर बना राहु और केतु का पर्वत होता है।
 
 
भाव या खाने : हथेली पर बारह भाव या खाने अलग-अलग प्रकार से होते हैं। जैसे...
1.पहला खाना सूर्य पर्वत के पास।
2.दूसरा खाना गुरु पर्वत के पास।
3.तीसरा खाना अंगूठे और तर्जनी अंगुली की बीच वाली संधि में।
4.चौथा खाना सबसे छोटी अंगुली के सामने हथेली के आखिर में।
5.पांचवां खाना बुध और चंद्र पर्वत के बीच में।
6.छठवां खाना हथेली के मध्य में।
7.सातवां खाना बुध पर्वत के नीचे।
8.आठवां खाना चंद्र पर्वत के नीचे।
9.नवां खाना शुक्र और चंद्र पर्वत की बीच में।
10.दसवां खाना शनि पर्वत के नीचे।
11.ग्यारहवां खाना खराब मंगल और हथेली के बीच में।
12.बारहवां खाना शुक्र पर्वत और हथेली बीच में जीवन रेखा के नीचे लिखा होता है।
 
कॉपीराइट वेबदुनिया
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

सत्य शिव हैं, अनंत शिव हैं...हर मन में बसे भगवंत शिव हैं, भक्ति से सराबोर सावन की शुभकामनाएं

पृथ्वी की नाभि पर स्थित है यह दिव्य ज्योतिर्लिंग जहां काल भी मान लेता है हार, जानिए महाकालेश्वर के अद्भुत रहस्य

कावड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है? जानें इसके विभिन्न रूप और महत्व

सिर्फ धातु के ही नहीं, श्रावण में इन 10 प्रकार के शिवलिंगों के पूजन से चमकेगा आपका भाग्य

सावन मास प्रारंभ, जानिए कितने सोमवार, कितने प्रदोष और पूजा के शुभ मुहूर्त, विधि, रुद्राभिषेक के साथ 5 अचूक उपाय

सभी देखें

नवीनतम

16 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

16 जुलाई 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

अगर नहीं जा पा रहे कावड़ यात्रा, तो घर पर ऐसे करें शिवजी की पूजा

कर्क राशि में सूर्य का गोचर, 5 राशियों को रहना होगा सतर्क

क्या शिवजी को भांग चढ़ती है?

अगला लेख