Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लाल किताब के 3 सिद्धांत, जान लिए तो समझो बच गए

हमें फॉलो करें लाल किताब के 3 सिद्धांत, जान लिए तो समझो बच गए

अनिरुद्ध जोशी

भारतीय वैदिक ज्योतिष और लाल किताब के सिद्धांतों, नियमों और फलादेश पढ़ने के तरीके में बहुत अंतर है। आओ जानते हैं कि लाल किताब के वे कौनसे तीन सिद्धांत है जिन पर आधारित सभी नियम हैं।
 
 
1. अनंत ब्रह्मांड में है ईश्वर की सत्ता : लाल किताब मानती है कि ईश्वर एक ही है जिसकी इस अनंत ब्रह्मांड में अनंत सत्ता विद्यमान है और जिसके बगैर पत्ता भी नहीं हिलता है। जो ईश्वर की शरण में होते हैं वे निम्नलिखित प्राभाव से बच जाते हैं।
 
 
2. अंत ग्रह और नक्षत्र से जीवन होता प्रभावित : अनंत अंतरिक्ष में अनंत ग्रह, नक्षत्र और तारे हैं जो उस सर्वशक्तिमान की शक्ति से चलायमान है। जिनका संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रकाश और प्राभाव व्याप्त है। इनके प्रभाव से आप बच नहीं सकते हो।
 
 
3. मुट्ठी में है कर्म का भाग्य : आपके द्वारा अगले-पिछले जन्म में जो भी कर्म किए गए हैं उन सभी से ही आपके भविष्य का निर्माण होता है। कर्म से ही सौभाग्य और दुर्भाग्य का निर्माण होता है। मुठ्ठी में बंद भाग्य को पढ़कर उसे पलटा भी जा सकता है परंतु उसके बदले कुछ बलि देना पड़ती है। 
 
जैसे नदी का काम है बहना। उसके बहाव को रोककर आप उससे नहर निकाल सकते हो, बिजली बना सकते हो और उसके बहाव की दिशा भी बदल सकते हो। गलत दिशा से उसे सही दिशा में या सही दिशा से उसे गलत दिशा में बहने के लिए मजबूर कर सकते हो। परंतु इससे नदी की स्वाभाविक गति रुक जाएगी। इसी प्रकार से कोई किसी का भाग्य बदलने की कोशिश करता है, तो उसे अपनी उसके स्थान पर बलि देनी पड़ती है। अर्थात यदि आपको भविष्य में आम का फल मिलने वाला था लेकिन वह नहीं मिला क्योंकि आपने दिशा बदल दी और अब आपको अमरूद का फल मिलेगा। तो कुछ ना कुछ बलिदान तो देना ही होगा। फल अच्छा भी हो सकता है या बुरा भी। 
 
नौ ग्रहों का क्षेत्र विस्तार:-
बुध विस्तार और व्यापकता का भाव देता है। राहु बुध का सहयोगी और मित्र है। यह देखने में नीला दिखाई देता है, लेकिन उसका विस्तार कितना है, कोई आज तक उसे नाप नहीं पाया है। सूर्य प्रकाश और शनि अन्धकार का दाता है। हर इंसान के जीवन में प्रकाश और अंधकार का दौर आता है। उसे जीवन में किसी न किसी प्रकार के अंधेरे से लड़ना होता है। उसी लड़ाई को ताकत देते है गुरु। गुरु हवा का कारक है, जब तक जीव के भीतर प्राणवायु प्रवाहित होती रहती है वह जीवित माना जाता है और जैसे ही अपना प्राणवायु का प्रवाह बंद हो जाता है तो जीव मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
 
शुक्र पाताल के रूप में जाना जाता है। भूमि के भीतर क्या है यह किसी को पता नहीं है। कितनी गहराई पर क्या छुपा बैठा है यह तो कर्म करने के बाद ही पता चलता है। केतु को शुक्र का सहयोगी माना जाता है और चन्द्रमा को धरती माना गया है। इसके द्वारा ही किसी भी जीव का जन्म और आगे के जीवन के बारे में पता चलता है। मंगल अपना पराक्रम दिखाने वाला पूंछ वाला सितारा कहा गया है, इसके पराक्रम के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है।
 
कुंडली में दो प्रकार के प्रभाव सामने होते हैं- एक प्रकट और दूरे शक के दायरे में होते हैं। सितारा तो कहता है कि जातक को राजयोग है, परंतु जातक को भीख मांग कर अपना जीवन गुजारना पड़ता है। जो भी निश्चित प्रभाव होता है वही भाग्य का संकेत देता है और वही अटल होता है। जब तक किसी प्रकार से किसी देश काल और परिस्थति का अध्ययन नहीं कर लिया जाता निश्चित कथन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि देश काल और परिस्थति के अनुसार कुछ दिखाई दे रहा होता है और होता कुछ और ही है। मतलब यह कि कुंडली में राजयोग होने के बावजूद भीख क्यों मांगना पड़ रहा है यही शक वाला क्षेत्र है।
 
ग्रहों का शक वाला क्षेत्र हमेशा के लिए स्थिर नहीं होता है। उस प्रभाव को लालकिताब के उपायों के द्वारा दूर किया जा सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शरीर का ये अंग फड़कने लगे तो समझ जाएं कि आने वाली है मुसीबत