टैंक से लांचर तक सबकुछ मिलेगा अलीबाबा पर

Webdunia
मंगलवार, 23 सितम्बर 2014 (12:48 IST)
ऑनलाइन खरीदी ने लोगों को बाजार जाने की झंझट से ‍मुक्ति दिला दी है। घर बैठे इंटरनेट पर ऑर्डर दें और और सामाना आपके घर पहुंच जाएगा। अब तक यह सोचा जाता था कि छोटी-मोटी वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक सामान और गजेट्‍स ही ऑनलाइन मिलते हैं, लेकिन चीन की चीनी ई-कॉमर्स वेंचर पर अलीबाबा पर आप टैंक, तोप, गोला, रॉकेट लांचर तक खरीद सकते हैं। यह कंपनी ऑनलाइन मार्केटिंग, क्लाउड कंम्यूटिंग और लाजिस्टिक सेवाएं भी मुहैया कराती हैं।

जैक मा के शानदार नेतृत्व में सिर्फ 15 सालों में ही चीन की अर्थव्यवस्था में असाधारण परिवर्तन के साथ ग्लोबल ट्रेड में भी परिवर्तन ला दिया। चीन की ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अलीबाबा ने सोमवार को अपने आईपीओ से निवेशकों को एक ही दिन में मालामाल बना दिया। इस कंपनी ने वॉल्ट डिज्नी से लेकर बोइंग तक की कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है।

अलीबाबा डॉट कॉम के आईपीओ को अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ माना जा रहा था। इस आईपीओ से कंपनी की वैल्युएशन 167.6 बिलियन (1 लाख करोड़ रुपए) तक जा पहुंची। अलीबाबा के एक शेयर का दाम 68 डॉलर (4133 रुपए प्रति शेयर) तक जा पहुंचा। इससे कंपनी को 21.8 बिलियन डॉलर (13252 करोड़ रुपए) की आमदनी हुई है।
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अलीबाबा पर सेना का एक असली टैंक 1 लाख 90 हज़ार डॉलर में मिलता है। सिर्फ़ टैंक ही नहीं अन्य सैन्य साज़ो सामान भी अलीबाबा आपको मुहैया करा सकता है। वैसे कुछ सौ डॉलर ख़र्च कर इनकी तरह दिखने वाले टैंक, रॉकेट लॉन्चर भी ख़रीद सकते हैं। इसकी सफलता की कहानी भी बड़ी मजेदार है।

जैक ने 15 साल पहले अपने 17 दोस्तों के साथ मिलकर एक अपार्टमेंट में इस कंपनी की शुरुआत की थी। मा ने कंपनी का नाम इस तरीके से सोच के रखा कि इसे किसी भी भाषा वाला व्यक्ति आसानी से बोल सके। शुरुआत में कंपनी की वेबसाइट चीनी मैन्यूफेक्चरर्स को विदेशी खरीदारों से जोड़ती रही और आज यह ई-कॉमर्स कंपनी बन गई है जिसका विस्तार बैंकिग, डिजीटल मैप्स और ऑनलाइन वीडियो तक हो गया है।

अग्रेजी टीचर और गाइड : पूर्व अंग्रेजी टीचर और अपने कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम में दो बार फेल होने वाले जैक को बचपन से ही अंग्रेजी से लगाव था। वे 12 वर्ष की उम्र में साइकल से होटल जाते और पर्यटकों के साथ अंग्रेजी सीखने और बोलने का अभ्यास करते।

जिस समय यह कंपनी शुरू की गई थी उस समय चीन में कॉरपोरेट सेक्टर काफी पिछड़ा हुआ था और जैक का यह कहना कि उनकी कंपनी का कॉम्पीटिश किसी चीनी कंपनी से नहीं बल्कि अमेरिका की सिलिकॉन वैली से है, उन्हें एक उपनाम दे गया- 'क्रेजी जैक'। जैक को स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स का चीनी वर्जन माना जाने लगा। जैक ने आज वह कर दिखाया है जिसका सपना उन्होंने 15 साल पहले देखा था। आज न केवल उनकी कंपनी ने विश्व का सबसे बड़ा आईपीओ लाया है, बल्कि उनकी कंपनी के शेयर अमेरिका और हर जगह खरीदे जा रहे हैं। कंपनी में 21000 कर्मचारी हैं। 50 वर्षीय जैक ने समाजसेवा पर ध्यान देने के लिए पिछले साल सीईओ का पद छोड़ दिया था, लेकिन वे अब भी कंपनी के चेयरमैन हैं।
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