क्या आपको भी परेशान करती हैं ये 5 बातें, क्या आपको भी चाहिए आर्थिक आजादी...

नृपेंद्र गुप्ता
अकसर लोग आर्थिक समस्याओं से परेशान रहते हैं। एक निश्चित तारीख को वेतन का पैसा आता है और दो-तीन दिन में चला जाता है। इस बीच कोई बड़ा खर्च आता है और आदमी धीरे-धीरे कर्ज में डूबता चला जाता है। इधर से लेकर उधर पैसा देना उसकी आदतों में शुमार हो जाता है और वह आर्थिक रूप से गुलाम हो जाता है। वह इस आर्थिक दलदल से निकलने के लिए छटपटाता है, पर चाहकर भी निकल नहीं पाता है। आइए जानते हैं वे 5 बातें, जो आपको इस समस्या से निकलने में बाधक हैं...
 
 
* क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल : अकसर लोग क्रेडिट का उपयोग कर जरूरत से ज्यादा खरीदी कर लेते हैं और फिर उसका भुगतान समय पर नहीं कर पाते। मिनिमम बैलेंस भरकर वे खुश होते रहते हैं लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चलता कि विभिन्न चार्जेस के नाम पर बैंक उनसे हजारों रुपए अतिरिक्त वसूल लेती है। वे इस खेल में इस तरह उलझ जाते हैं कि बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं रहता।
 
* ब्याज पर पैसा लेना : कई लोग बाजार में ब्याज पर पैसा चलाने का काम करते हैं। वे अकसर जरूरतमंदों को अपने जाल में फांस लेते हैं। इस जाल में फंसने वाले व्यक्ति का तो निकलना बड़ा मुश्किल होता है। व्यक्ति को जरूरत पड़ने पर इन लोगों से पैसा लेने की बजाए बैंकों से पसर्नल लोन लेना चाहिए। यह बैंक एक निश्चित प्रक्रिया के तहत व्यक्ति को उसकी हैसियत के मुताबिक पैसा देते हैं और निश्चित किश्तों में वापस ले लेते हैं।
 
* इधर से लेना, उधर देना : अकसर देखने में आता है कि लोग काम पड़ने पर अपने परिचितों से पैसे ले लेते हैं, पर चुकाने में चूक जाते हैं। ज्यादा दबाव पड़ने पर वे एक से पैसा लेकर दूसरे को दे देते हैं। इस तरह लेन-देन का जो सिलसिला शुरू होता है, वह खत्म होते-होते व्यक्ति की साख ही खत्म कर देता है।
 
* ईएमआई का चक्कर : यह भी देखने में आता है कि लोग ऑनलाइन और ऑफलाइन ऐसी वस्तुओं को ईएमआई पर खरीद लेते हैं, जो उनकी क्षमता के बाहर की होती है। इस चक्कर में उनका खर्चा बढ़ जाता है और उन पर आर्थिक शिकंजा कस जाता है। इससे न सिर्फ उनके मासिक बजट पर बुरा असर पड़ता है बल्कि बचत और निवेश पर भी बुरा असर पड़ता है। ईएमआई पर ली गई वस्तुओं से सहूलियत मिलती है, पर लांग टर्म में इसका बुरा असर भी पड़ता है। अत: जरूरी चीजों को ही ईएमआई पर लेना चाहिए।
 
* बजट के अनुसार काम नहीं करना : बहुत से लोग बजट को लेकर बेपरवाह होते हैं। उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती कि पैसा किस तरह से खर्च करना है। दूसरी ओर कई लोग अपने पास आए पैसों का पूरा हिसाब रखते हैं। उन्हें यह पता होता है कि धन को किस तरह खर्च किया जाए कि पूरे माह पैसा भी पास रहे और जरूरी काम भी निपटते चले जाएं। बहुत से लोग इसे 'कंजूसी' की संजा देते हैं, पर भविष्य में यह आदत आपको बड़ा फायदा पहुंचा सकती है। 
 
बहरहाल, आजादी के इस पर्व पर संकल्प करें कि आप भी आर्थिक गुलामी में जकड़े नहीं जाएं और जो इस मुसीबत में फंस चुके हैं, उन्हें सही दिशा में प्लान कर इससे बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए। 

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