नई दिल्ली। सरकार ने खरीफ मौसम में धान की पैदावार अनुमान से कम होने की संभावनाओं के बीच चावल के निर्यात पर गुरुवार को कुछ पाबंदियां लगाने की घोषणा की। सरकार ने टुकड़ा चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी। विभिन्न प्रकार के मोटे चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाने का भी फैसला किया गया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, टुकड़ा चावल (एचएस कोड 1064000) के तहत अब तक निर्यात के लिए मुक्त टुकड़ा चावल को संशोधित निर्यात नीति के तहत प्रतिबंघित सूची में डाल दिया गया है। DGFT ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश इस समय निर्यात के लिए लादी जा रही चावल की खेप या सीमा शुल्क विभाग को सुपुर्द की गई खेप या उस खेप पर लागू नहीं होगी, जहां शिपिंग बिल भर दिया गया है और लगान के लिए जहाज ने लंगर डाल दिया है।
बताया जा रहा है कि खरीफ की फसल में धान का उत्पादन अनुमान से कम होने के आसार के बीच यह निर्णय लिया गया है। विश्व में खाद्य कीमतों में तेजी के बीच सरकार चावल जैसे रोजमर्रा के उत्पादों की घरेलू कीमतों को लेकर संवेदनशील है।
अधिसूचना के अनुसार, बिना दला चावल (धान), भूरा चावल और आधा दले या पूरा दले धान (चावल) पर 20% निर्यात शुल्क लगाया जाएगा। यह निर्णय पॉलिश किए हुए या ग्लेज्ड (बासमती और उसना चावल को छोड़ कर) सभी तरह के चावल पर लागू होगा।
देश में खाद्य कीमतों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सरकार द्वारा गेहूं के आटे के निर्यात को प्रतिबंधित करने के बाद चावल के संबंध में यह कदम उठाया गया है। सरकार ने पहले गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रमुख खाद्यान्न की कीमतें बढ़ने लगी थीं।