ईरान से तेल खरीदने पर भारत उसे अमेरिकी डॉलर में भुगतान नहीं कर सकेगा। इस तरह अब उसे पूरा भुगतान रुपए में ही करना होगा। यह व्यवस्था चार नवंबर से लागू होगी। मई में प्रतिबंध की घोषणा के बाद से तेल कंपनियों ने ईरान से आयात कम कर दिया है।
इस तरह भुगतान करेगा भारत : वर्तमान में भारत अपने तीसरे सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता देश को यूरोपीय बैंकिंग चैनल के जरिए यूरो में भुगतान करता है। ये चैनल नवंबर से काम करना बंद कर देंगे। इसके बाद तेल कंपनियां आईसीआईसीआई और यूको बैंक के जरिए ईरान को भुगतान कर सकती हैं। ईरान पर पिछले प्रतिबंध के समय भी रुपयों में ही भुगतान किया गया था।
घटेगा कच्चे तेल का आयात : भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से ढाई करोड़ टन कच्चे तेल आयात की योजना बनाई थी। पिछले साल के 2.26 करोड़ टन के मुकाबले यह अधिक है। लेकिन अब वास्तविक आयात इससे कहीं कम होने का अनुमान है।
ईरान रुपयों में भुगतान लेने को तैयार : ईरान तेल के लिए रुपए में भुगतान स्वीकार करने के लिए तैयार है। उस राशि का इस्तेमाल वह भारत से खरीदे जाने वाले उपकरणों और खाद्य पदार्थों के भुगतान के लिए कर सकता है।
ईरान से सस्ता मिल सकता है : आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा के बाद डॉलर के मुकाबले ईरानी मुद्रा में भारी गिरावट आई है। अन्य देश अमेरिका की नाराजगी के डर से ईरान से तेल खरीदने से डरेंगे। ऐसे में भारतीय कंपनियों को ईरान से तेल सस्ते में मिल सकता है।
ईरान से ही क्यों तेल खरीदता है भारत :
* ईरान से तेल लाना भारत को सस्ता पड़ता है। इसमें ट्रांसपोर्टेशन चार्ज और बीमा का खर्च ईरान देता है, साथ ही तेल भारत तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ईरान की ही होती है।
* अन्य देश पेमेंट के लिए 15 से 30 दिन का समय देते हैं, जबकि ईरान इसके लिए 60 दिनों का वक्त देता है।