दीपावली को लगा नोटबंदी और जीएसटी का ग्रहण

Webdunia
शनिवार, 21 अक्टूबर 2017 (18:12 IST)
नई दिल्ली। खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि इस वर्ष व्यापारियों के लिए दिवाली की रौनक लगभग न के बराबर रही और व्यापार में मंदी का माहौल रहा जिसके कारण गत 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी रही।
 
कैट ने दिवाली के बाद त्योहारी सीजन के कारोबार की समीक्षा करते हुए शनिवार को जारी बयान में कहा कि देश का रिटेल व्यापार लगभग 40 लाख करोड़ रुपए का है और उसमें से केवल 5 प्रतिशत हिस्सा संगठित क्षेत्र का है जबकि शेष स्वसंगठित क्षेत्र का है जिसे असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। दिवाली से 10 दिन पहले वस्तुओं की बिक्री गत वर्षों में लगभग 50 हजार करोड़ रही है जिसमें इस साल 40 प्रतिशत की कमी देखी गई है। 
 
रेडीमेड गारमेंट, कंज्यूमर ड्यूरेबल, एफएमसीजी उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स, किचन के सामान, लगेज के सामान, घड़ियां, गिफ़्ट आइटम, मिठाइयां, ड्रायफ़्रूट, होम डेकोर, बिजली फ़िटिंग, फर्नीचर,  डेकोरेशन आइटम, फर्निशिंग फैब्रिक, बिल्डर हार्डवेयर, पेंट, बर्तन आदि वस्तुएं हैं जिनकी बिक्री मुख्य रूप से दिवाली पर होती है।
 
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि उपभोक्ताओं के पास नकदी की कमी के कारण उनकी खरीद क्षमता पर गहरा असर पड़ा जिसके कारण बाज़ारों में उदासी छाई रही। दूसरी ओर नोटबंदी के बाद जारी अस्थिरता से बाजार संभलने की कोशिश कर रहा था तभी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से परेशानियां बढ़ गईं और जीएसटी पोर्टल का ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण से बाज़ारों में अनिश्चितता का वातावरण बना जिसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा।
 
उन्होंने कहा कि दिवाली का त्योहार समाप्त हो चुका है और अब व्यापारियों की निगाहें 31 अक्टूबर से शुरू हो रहे शादियों के सीजन पर है। यह सीजन पहले सत्र में 14 दिसंबर तक चलेगा और फिर दोबारा 14 जनवरी से शुरू होगा। ऐसे में बाजार में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार को रिटेल व्यापार को चुस्त-दुरस्त करने के उपाय करने की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था को भी बल मिल सके और खरीद का माहौल बन सके। 
 
खंडेलवाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था से सभी सेक्टरों में केवल रिटेल व्यापार ही अकेला ऐसा सेक्टर है जिसके लिए न तो कोई नीति है और न ही कोई मंत्रालय है। इसलिए सरकार को रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए और केंद्र में अलग से एक आंतरिक व्यापार मंत्रालय गठित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही रिटेल व्यापार के लिए नियामक भी बनाया जाना चाहिए। (वार्ता)

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