आमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील से आप भी सामान ख़रीदते होंगे। तमाम ग्राहकी के बाद भी ये कंपनियाँ हज़ारों करोड़ के घाटे में हैं। अगर निवेश ना हो तो इनके लिए अंतर को पाटना ही मुश्किल हो जाए।
भारत तेजी से बड़ा ऑनलाइन बाज़ार बनकर उभर रहा है परंतु आंकड़े बताते हैं कि ई-कॉमर्स कंपनियों को हो रहा है भारी घाटा। एक स्टडी के मुताबिक 2016 में भारत में ऑनलाइन सामान खरीदने वाले उपभोक्ता 6.9 करोड़ थे परंतु इनकी संख्या में लगातार इजाफा होने की उम्मीद कंपनियों को है और यही वजह है कि ई कॉमर्स कंपनियां भारी घाटा उठाकर भी सामान पर डिस्काउंट देती हैं।
भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट, ईबे और टेनसेंट से 1.4 अरब डॉलर जितना बड़ा फंड मिला है। यह फंडिंग ऐसे समय में हुई है जब फ्लिपकार्ट स्नैपडील को खरीदने की मंशा जता चुकी है। गौरतलब है कि टाइगर ग्लोबल, नैस्पर्स ग्रुप, एक्सेल पार्टनर्स और डीएसटी ग्लोबल का पहले से ही फ्लिपकार्ट में जमकर पैसा लगा हुआ है।
फ्लिपकार्ट जहां स्नैपडील को खरीदने की चर्चा में है वहीं यह पहले ही अमेरिकी कंपनी ईबे का भारतीय बिजनेस खरीदने की डील कर चुकी है। ईबे फ्लिपकार्ट में निवेश भी करेगी जिसके चलते इसे इक्विटी में हिस्सेदारी मिलेगी। यह डील साल के अंत तक पूरी हो सकती है। इस तरह की फंडिंग का इस्तेमाल कंपनियां बिजनेस को फैलाने और सामान पर डिस्काउंट देन के लिए करेंगी।
इन टॉप 3 कंपनियों का घाटा पहुंचा 95% तक (आंकड़े करोड़ में)