नई दिल्ली। दुनिया पर मंडराते मंदी के खतरे के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की यह रिपोर्ट भारत के लिए राहत भरी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है।
दुनिया में गहरा रहा है मंदी का खतरा : आईएमएफ (IMF) की रिपोर्ट में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर युद्ध के प्रभाव दिखाई दे रहा है। क्या विकसित, क्या विकासशील सभी देशों का हाल बेहाल है। अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, ब्राजील, इटली, फ्रांस समेत लगभग सभी देशों पर मंदी का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि मौद्रिक नीति को तेज करना कई अर्थव्यवस्थाओं को लंबे समय तक मंदी में धकेल सकता है। ओपेक प्लस देशों द्वारा हाल ही में लिए गए तेल की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए उत्पादन में तेजी से कटौती करने के फैसले का भी दुनिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
IMF की रिपोर्ट में भारत के लिए क्या है खास : आईएमएफ रिपोर्ट में वर्ष 2022 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसके पहले जुलाई में आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। यह जुलाई में व्यक्त पिछले अनुमान से 0.6 प्रतिशत कम है। यह दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के उम्मीद से कम रहने और बाह्य मांग में भी कमी आने की ओर इशारा करता है।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और 2023 में भी इसके मजबूती से वृद्धि करने की उम्मीद है। इस साल इसकी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने जबकि अगले साल 6.1 प्रतिशत रहने की हमें उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति अब भी केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से अधिक बनी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रहने का हमें अनुमान है। अगले साल यह गिरकर 5.1 प्रतिशत पर आ सकती है। ऐसे में नीतिगत स्तर पर हमें यही लगता है कि राजकोषीय एवं मौद्रिक नीति में सख्ती जारी रहनी चाहिए।
भारत पर क्यों नहीं होगा मंदी का असर : वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण एस भटनागर ने भारतीय अर्थव्यस्था की मजबूती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम लोग हर समय एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे खास बात यह है कि हमारी आयात पर निर्भरता काफी कम है। हमारे देश में फूड इनसिक्योरिटी नाम की कोई चीज नहीं है जो अन्य देश फेस कर रहे हैं। बल्कि हम तो अनाज बाहर भेज रहे थे। सबसे बड़ा स्थायित्व यही है कि सभी को खाने को तो मिल ही रहा है।
रूस यूक्रेन युद्ध से हमारी यहां क्या प्राबल्म आई? हालांकि कुछ वस्तुओं के दाम बढ़े हैं लेकिन इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय कारण है। पेट्रोल ही महंगा हो गया तो इसमें हम क्या करेंगे? जनता इस बात को समझ रही है। हो सकता है अंतरराष्ट्रीय कारणों से हमारी विकास दर थोड़ी कम हो जाए। क्राइसिस में ही अवसर निकलते हैं। हर क्राइसिस कुछ सीख देकर जाता है। हम फिर आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत : भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती की एक बड़ी वजह मोदी सरकार का मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया कार्यक्रम भी है। इन 2 महत्वकांक्षी कार्यक्रमों की वजह से भारत औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में भी काफी हद तक आत्मनिर्भर हुआ है। दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता घटने से हमारा पैसा देश में ही रोटेट हो रहा है इससे हमारी अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। मर्सिडीज इंडिया से लेकर एप्पल तक दुनिया की कई नामी कंपनियां भारत में अपने उत्पाद बना रही है। मर्सिडीज इंडिया ने भारत में बनी EQS 580 को लांच कर दिया है।
एम्फी द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, sip के जरिए सितंबर में म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेश बढ़ा है। अगस्त में AUM 39.33 लाख करोड़ था जो सितंबर में बढ़कर 39.88 लाख करोड़ हो गई। एक साल पहले यह सितबंर में 36.73 लाख करोड़ थी। यह रिपोर्ट इस बात को दर्शाती है कि भारतीय बाजारों में निवेशकों की दिलचस्पी बनी हुई है।