RBI सरकार को बताएगा, क्या है मुद्रास्फीति पर विफलता की वजह?

Webdunia
रविवार, 30 अक्टूबर 2022 (14:34 IST)
मुंबई। 6 साल पहले मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार 9 महीनों तक मुद्रास्फीति को निर्धारित दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा।
 
वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था। उसके बाद से एमपीसी ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है। एमपीसी ढांचे के तहत सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे बनी रहे।
 
हालांकि, इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सितंबर में भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.4 प्रतिशत पर दर्ज की गई। इसका मतलब है कि लगातार 9 महीनों से मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
 
मुद्रास्फीति का यह स्तर दर्शाता है कि आरबीआई अपना निर्दिष्ट दायित्व निभाने में असफल रहा है। दरअसल, आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन में प्रावधान है कि लगातार तीन तिमाहियों यानी लगातार नौ महीनों तक मुद्रास्फीति के निर्धारित स्तर से ऊपर रहने पर केंद्रीय बैंक को अपनी नाकामी के बारे में सरकार को एक समीक्षात्मक रिपोर्ट सौंपनी होगी।
 
इस रिपोर्ट में आरबीआई को यह बताना होता है कि मुद्रास्फीति को काबू में रख पाने में उसकी नाकामी की क्या वजह रही? इसके साथ ही आरबीआई को यह भी बताना होता है कि वह स्थिति को काबू में लाने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है।
 
इन वैधानिक प्रावधानों और मुद्रास्फीति के मौजूदा स्तर को देखते हुए आरबीआई ने तीन नवंबर को एमपीसी की विशेष बैठक बुलाई है जिसमें सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा। एमपीसी के छह-सदस्यीय पैनल की अगुवाई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे।
 
आरबीआई ने हाल ही में एक बयान जारी कहा था कि आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन के प्रावधानों के अनुरूप 3 नवंबर को एमपीसी की एक अतिरिक्त बैठक बुलाई जा रही है। यह धारा मुद्रास्फीति को तय दायरे में रख पाने में विफलता से जुड़े प्रावधान निर्धारित करती है।
 
सरकार ने 31 मार्च,2021 को जारी एक अधिसूचना में कहा था कि मार्च, 2026 तक आरबीआई को मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत अधिक या दो प्रतिशत कम) के भीतर रखना होगी। इस तरह सरकार ने 5 वर्षों के लिए मुद्रास्फीति को अधिकतम 6 प्रतिशत तक रखने का दायित्व आरबीआई को सौंपा था। लेकिन वर्ष 2022 इस लक्ष्य की दिशा में असफल साबित हुआ है।
 
जनवरी से लेकर सितंबर तक लगातार मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से अधिक रही है। इसपर काबू पाने के लिए आरबीआई ने एमपीसी की सिफारिश पर नीतिगत रेपो दर को पिछले 5 महीनों में 1.90 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। अब रेपो दर 5.90 प्रतिशत हो चुकी है जो इसका तीन साल का सर्वोच्च स्तर है।
 
Edited by : Nrapendra Gupta (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor पर घमासान, भारतीय राजनीति में मीर जाफर और जयचंद की इंट्री

क्या है ऑपरेशन 'मीर जाफर', जिसमें हो रही है देश के गद्दारों की गिरफ्तारी, अब तक 13 गिरफ्त में

आसिम मुनीर को बनाया फील्ड मार्शल, पाकिस्तानी सरकार ने दिया कट्‍टरपंथी जनरल को इनाम

Airtel और Google की partnership से ग्राहकों को फायदा, Free मिलेगी यह सुविधा

क्या है कोरोना का JN.1 वेरिएंट, भारत में कितने मामले, वायरस से देश में कितना खतरा, सरकार कितनी तैयार, किन बातों का आपको रखना होगा ध्यान

सभी देखें

नवीनतम

पहलगाम आतंकी हमले के बाद असम में 73 पाकिस्तानी एजें‍ट गिरफ्तार, क्या बोले CM हिमंत सरमा

फैज की नज्म पढ़ी तो अभिनेता की पत्नी पर हो गया मुकदमा, आयोजक भी नप गए

MP में मेट्रो परियोजना से तुर्किये की कोई कंपनी जुड़ी मिले तो ठेका तुरंत करें रद्द, कैलाश विजयवर्गीय ने दिए आदेश

राहुल गांधी बोले, भाजपा का मॉडल अरबपतियों को धन देना, कांग्रेस का मॉडल गरीबों की जेब में पैसा डालना

Operation Sindoor पर घमासान, भारतीय राजनीति में मीर जाफर और जयचंद की इंट्री

अगला लेख