मुंबई। नोटबंदी के बाद देश की आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने के साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने से वैश्विक बाजार पर दबाव के कारण घरेलू शेयर 18 महीने के बाद लगातार 7 दिन गिरावट लेकर बंद हुए हैं।
अधिकतर एशियाई और यूरोपीय बाजारों के गिरावट में रहने के बीच गुरुवार को बीएसई का सेंसेक्स 26,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 25,979.60 अंक पर तथा एनएसई का निफ्टी भी 8,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से गिरकर 7,979.10 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले जून 2015 में सेंसेक्स में लगातार 7 दिन की गिरावट दर्ज की गई थी, जब मौसम विभाग ने मानसून में बारिश का अनुमान काफी घटा दिया था।
भारतीय शेयर बाजार पर अंतरराष्ट्रीय हलचल का भी दबाव पड़ा है। अमेरिका गुरुवार को तीसरी तिमाही में अपने सकल घरेलू उत्पाद समेत कई आर्थिक आंकड़े जारी करने वाला है जिससे अगले साल 3 बार ब्याज दर बढ़ाने का फेडरल रिजर्व का फैसला प्रभावित होगा। आंकड़ों की मजबूती की संभावना से अधिकतर यूरोपीय तथा एशियाई शेयर बाजार गुरुवार को गिरावट में रहे।
ब्याज दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की कुछ दिन पहले की गई फेड की घोषणा के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक उभरते बाजारों से पूंजी निकासी कर रहे हैं और घरेलू स्तर पर नोटबंदी अब भी शेयर बाजार पर हावी है। घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशक इस महीने 20 दिसंबर तक 25.02 करोड़ डॉलर की पूंजी निकासी कर चुके हैं। विश्लेषकों की राय में निवेशक घरेलू स्तर पर स्थिति में सुधार की संभावना न देखते हुए मुनाफा वसूली में जुट गए हैं।
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 262.78 अंक यानी 1.00 फीसदी का गोता लगाते हुए 25,979.60 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह निफ्टी भी 1.02 फीसदी यानी 82.20 अंक की गिरावट के साथ 8,,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 7,979.10 अंक पर बंद हुआ। (वार्ता)