आपको एफडी ब्याज़ दरें क्यों पता होनी चाहिए

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नए फाइनेंशियल वर्ष की शुरुआत के साथ नौकरीपेशा लोग व्यस्त हो गए हैं। उन्हें टैक्स में बचत के लिए 1.5 लाख रुपए तक के निवेश को दिखाना होगा। ऐसी स्थिति में बहुत से लोग ऐसे डिपॉजिट/योजनाओं को चुनने में घबरा जाते हैं जो उनकी आय को टैक्स सीमा से बाहर रख सकें। इनमें से कई लोग अंत में उन फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) को चुनते हैं, जो सुरक्षित नहीं होती। 
 
एफडी पर ऑफर की जाने वाली ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी या कमी वित्तीय संस्थानों, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), पर निर्भर करती है। कभी-कभी एनबीएफसी बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज़ दर प्रदान कर सकती हैं। हालाँकि, एफडी चुनने से पहले, आपको समय-समय पर बदलती ब्याज़ दरों को देखना चाहिए। ब्याज़ दरों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। वर्ष 2017 के अंत से 2018 के अधिकांश समय में, एफडी पर ब्याज़ दरों में वृद्धि हुई है। 
 
आकर्षक ब्याज दर ऑफर करने वाले कुछ प्रमुख बैंक हैं, SBI, PNB, HDFC, ICICI और बैंक ऑफ बड़ौदा। हालांकि, कम पूँजी वाले ऐसे कई बैंक, कुछ एनबीएफसी और कुछ विदेशी संस्थान जैसे ड्यूश बैंक भी हैं जो ज़्यादा ब्याज़ दरें ऑफर करते हैं। आकर्षक ब्याज दर ऑफर करने वाले कुछ छोटे बैंक और एनबीएफसी हैं : बजाज फिनसर्व, सुंदरम फाइनेंस ग्रुप, महिंद्रा फाइनेंस, डीएचएफएल और द लाइक्स।
 
एसबीआई एफडी ब्याज़ दरें : सभी सार्वजानिक बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) लगातार सबसे ज़्यादा एफडी ऑफर देता रहा है। 2 करोड़ रुपए से कम की एसबीआई एफडी ब्याज़ दरों में सबसे हालिया बदलाव 22 फरवरी 2019 को आया है। भारतीय निवासियों के लिए वर्तमान में एसबीआई एफडी ब्याज़ दरें निम्नलिखित हैं : 
 
 
 
एसबीआई कर्मचारी जो एसबीआई पेंशन प्राप्त करते हैं, वो सामान्य नागरिकों के लिए लागू दर से 1% अधिक प्राप्त करते हैं। एसबीआई के वो पेंशनभोगी, जो वरिष्ठ नागरिक हैं, उन्हें स्टाफ के तौर पर अधिक (1%) और निवासी भारतीय वरिष्ठ नागरिकों के तौर पर अधिक (0.50%) दोनों का लाभ मिलेगा।
 
एसबीआई ने एनआरआई ग्राहकों के लिए भी ब्याज़ दरों में बदलाव किये हैं। नीचे दी टेबल में एनआरआई द्वारा चुने जाने वाले एनआरओ अकाउंट की लागू ब्याज़ दरें दिखाई गई हैं : 
 
हालाँकि, 7 दिन से पहले एफडी तोड़ने पर किसी तरह का जुर्माना नहीं देना पड़ता है। यदि समय से पहले धनराशि निकाल ली जाती है, तो एसबीआई एफडी ब्याज दरों में 0.50% या 1% की कमी आएगी।
 
मुख्य रूप से जो निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर आकर्षित करता है, वह है निवेश में जोखिम का ना होना और रिटर्न की गारंटी, जिसमें अधिक उतार-चढ़ाव नहीं आता है। यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए एक अच्छा निवेश है जो पहले से काफी जोखिम में है और अपने निवेश से लाभ पाने के लिए सिर्फ बाज़ार पर भरोसा नहीं कर सकता है।
 
हालांकि, सभी फिक्स्ड डिपॉज़िट ज़्यादा रिटर्न प्रदान नहीं कर सकते हैं इसलिए निवेशकों को इन पर बाद में ध्यान देना चाहिए। म्यूचुअल फंड (इक्विटी) में समय से पहले पैसे निकालने पर किसी तरह का जुर्माना नहीं लगता है, लेकिन इसके विपरीत समय से पहले फिक्स्ड डिपॉज़िट तोड़ने पर जुर्माना लगता है। इसका एक उदाहरण एसबीआई एफडी हैं, जिसमें से समय से पहले पैसे निकालने पर शुरुआती निवेश का 1% तक जुर्माना लिया जाता है।
 
निवेश के रूप में फिक्स्ड डिपॉज़िट : फिर भी, फिक्स्ड डिपॉज़िट उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है जो गारंटी रिटर्न चाहते हैं। कम जोखिम के साथ इसकी प्रक्रिया भी बहुत आसान है। brick and और establishments या अन्य ऑनलाइन फाइनेंशियल पोर्टल के द्वारा ब्याज़ दरों की तुलना कर इनमें आसानी से निवेश किया जा सकता है। 
 
निवेश से पहले ब्याज़ दरों की तुलना करना एक आवश्यक कदम है क्योंकि अंत में लाभ इसी के आधार पर होता है। बैंक, एनबीएफसी और ब्याज़ दरों के बारे में जानकारी लेने से आप सही निर्णय ले सकते हैं। निवेश के लिए उन बैंकों/एनबीएफसी को तरजीह देनी चाहिए जिसमें आपका सेविंग अकाउंट या अच्छे संबंध हैं, क्योंकि उनमें एफडी/टर्म डिपॉज़िट शुरू करना ज़्यादा आसान है। 
 
उदाहरण के लिए, यदि एसबीआई बैंक में आपका सेविंग अकाउंट है, तो एसबीआई एफडी खोलने के लिए आपको उतनी ज़्यादा कागज़ी कार्यवाही से नहीं गुज़ारना होगा जितना उस व्यक्ति को गुज़ारना पड़ेगा जिसका अकाउंट उस बैंक में नहीं है। दूसरी ओर, कुछ निजी क्षेत्र के बैंक जैसे कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड या कोटक महिंद्रा अपने खाताधारकों के लिए ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करते हैं-यहां तक कि मोबाइल एप्लिकेशन पर भी एफडी खोली जा सकती है।  
 
एफडी/टर्म डिपॉज़िट पर ब्याज दरों का ध्यान रखना ज़रूरी है, क्योंकि वो बदलती रहती हैं। आप इसके लिए हर तीन महीनों में बैंक या एनबीएफसी की वेबसाइट को देख निवेश पर रिटर्न का अंदाज़ा लगा सकते हैं। अधिकांश प्रमुख फाइनेंशियल न्यूज़ वेबसाइट और समाचार पत्र भी ब्याज़ दरों में बदलाव की खबर छापते हैं।(एडवरटोरियल)
 

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