आईटी उद्योग के लिए अमेरिका से अपील

भारत के आईटी से मिला अमेरिका को 15 अरब डॉलर का कर

Webdunia
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012 (18:17 IST)
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भारत ने आज उम्मीद जताई कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के चलते अमेरिका संरक्षणवादी व्यवस्था को बढ़ावा नहीं देगा और राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा हाल में घोषित ऑउटसोर्सिंग रोधी उपायों के मामले में भारतीय आईटी उद्योग की चिंताओं का तत्काल समाधान करेगा।

विदेश सचिव के रूप में पहली बार द्विपक्षीय यात्रा पर यहां आए रंजन मथाई ने कहा कि अमेरिका को भारतीय आईटी उद्योग ने पिछले पांच साल में कर के रूप में 15 अरब डॉलर दिया है। उन्होंने भेद-भावपूर्ण कार्रवाई को समाप्त किए जाने की जरूरत को भी रेखांकित किया।

समझा जाता है कि मथाई ने वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ सोमवार को हुई बैठक में इन मुद्दों को उठाया। ओबामा ने हाल में अपने संबोधन में देश में रोजगार वापस लाने के उपायों का जिक्र किया था। इसी पृष्ठभूमि में मुद्दों को उठाया गया।

ओबामा ने कहा कि उनकी सरकार उन कंपनियों को प्रोत्साहन देगी जो रोजगार देश से बाहर नहीं भेजेंगी और देश में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगी।

मथाई ने कहा कि भारतीय आईटी उद्योग ने पिछले पांच साल में अमेरिका को कर के रूप में 15 अरब डॉलर का योगदान दिया है। कड़े वीजा नियमों से आर्थिक विकास की इस गाथा को खत्म नहीं किया जाना चाहिए। कड़े वीजा नियम गैर-प्रशुल्क बाधा के रूप में काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के कारण अमेरिका संरक्षणवाद को बढ़ावा नहीं देगा और भारतीय आईटी उद्योग की चिंताओं का तत्काल समाधान किया जाएगा।

रंजन मथाई ने कहा कि नासकाम (भारतीय आईटी कंपनियों के संगठन) के अनुमान के अनुसार भारतीय उद्योग ने अमेरिका में 100,000 लोगों को रोगजार दिया है जो छह साल पहले 20,000 था। इतना ही नहीं अप्रत्यक्ष रूप से 200,000 अन्य लोगों को रोजगार मिला हुआ है और कुछ अमेरिकी उद्योगों की प्रतिस्पर्धा में भी इजाफा हुआ है।

भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध प्रगाढ़ हैं, ऐसे में भारत तथा अमेरिका के बीच एक दूसरे की नीति तथा नियामकीय मुद्दों के कारण चिंता का होना कोई बड़ी बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि लेकिन इन मसलों के हल के लिए हमारे पास द्विपक्षीय व्यवस्था है। हमें द्विपक्षीय निवेश समझौते को जल्दी तार्किक परिणति तक पहुंचाना चाहिए, लेकिन इससे आगे भी हमें ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने रेखांकित किया कि अमेरिका दुनिया का एकमात्र ऐसा विकसित देश है जिसके साथ भारत ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता नहीं किया और न ही इस दिशा में आगे कारवाई हो रही है। मथाई ने कहा कि अत: हमें न केवल व्यापार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए बल्कि शोध की ताकत का इस्तेमाल कर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को 21वीं सदी में दुनिया की प्रमुख शक्ति बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। साथ ही दुनिया में गरीबों की जरूरतों को पूरा करने के साथ स्वच्छ उर्जा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसी चुनौतियों का भी हल निकालना चाहिए। (भाषा)

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