पिता और भाई के जाने के बाद बहन बनी आकाश दीप की ताकत, खुद कैंसर से जूझती रही

WD Sports Desk
मंगलवार, 8 जुलाई 2025 (13:57 IST)
Akash Deep Instagram

Akash Deep Sister : इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच के भारतीय नायक आकाश दीप के क्रिकेटर बनने में उनकी बहन अखंड ज्योति का बड़ा योगदान रहा है, जो खुद अब कोलोन कैंसर के तीसरे चरण से जूझ रही हैं। आकाश दीप ने 2015 में 6 महीने के अंतराल में अपने पिता रामजी सिंह और अपने सबसे बड़े भाई को खो दिया था तब उनके क्रिकेट करियर पर संकट छा गया था।
 
 निराशा के उस क्षण में अखंड ज्योति ने अपने सबसे छोटे भाई के सपने को पूरा करने के लिए लगातार प्रेरित किया।

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Family is everything!

Akash Deep dedicates this win to his sister battling cancer. #SonySportsNetwork #GroundTumharaJeetHamari #ENGvIND #NayaIndia #DhaakadIndia #TeamIndia #ExtraaaInnings pic.twitter.com/teMNeuYLMP

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उस समय उनकी बहन ने कहा था, ‘‘ इसी फील्ड (क्षेत्र) में आगे बढ़े।’’
 
इस वाक्ये के कई साल के बाद उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 10 विकेट लेकर भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव रखी। इस तेज गेंदबाज ने अपने प्रदर्शन को मैच के बाद भावुक होकर अपनी बहन को समर्पित किया।


 
आकाश दीप ने मैच की पहली पारी में 88 रन देकर 4 विकेट लेने के बाद दूसरी पारी में 99 रन देकर 6 विकेट लेकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
 
उनके इस प्रदर्शन से भारत ने 336 रन की जीत के साथ पांच मैचों की श्रृंखला को 1-1 से बराबर किया।

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Akash Deep’s sister, fighting stage 3 cancer, shares an emotional message for him pic.twitter.com/oFXnGynJfE

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इस तेज गेंदबाज के इस प्रदर्शन के पीछे एक भावुक कहानी छिपी है।
 
अखंड ज्योति 14 मई को कोलन कैंसर की सर्जरी करवाने के बाद अब कीमोथेरेपी पर हैं। ज्योति के पति नितेश कुमार सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं और अब बैंक में काम कर रहे हैं।
 
उन्होंने लखनऊ से पीटीआई को बताया, ‘‘यह पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है। पिता की मृत्यु के बाद आकाश दिल्ली में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे, लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिल रही थी। यह ज्योति ही थीं जिन्होंने उनसे कहा, ‘इसे गंभीरता से लो। अगर जरूरत पड़े तो कहीं और जाओ और इस सपने को पूरा करो’।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘वह 2017 में कोलकाता चले गए और फिर बंगाल अंडर-23 के लिए चुने गए। उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।’’ और यहीं से उनकी जिंदगी शुरू हुई।’’
 
परिवार ने आर्थिक तंगी के बावजूद कभी आकाश दीप पर भरोसा करना कम नहीं किया।
 
सिंह ने कहा, ‘‘हमारे पास जो था, उसी से हम गुजर-बसर करते रहे। आकाश हमेशा अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व (Mature) था।’’
 
 उन्होंने कहा कि ज्योति आकाश दीप से 10 साल बड़ी है। पिता तथा भाई की मौत के बाद आकाश का अपनी बहन के साथ रिश्ता और भी गहरा हो गया।
 
नितेश ने कहा, ‘‘वे सब कुछ साझा करते हैं। बात चाहे कोई फैसला लेने की हो, चुटकुले हो या ताने मारना हो। वे हमेशा एक-दूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।’’
 
कीमोथेरेपी के दौरान भी अखंड ज्योति ने सुनिश्चित किया कि उसका भाई खेल पर ध्यान केंद्रित रखे।
 
इंग्लैंड दौरे से पहले, परिवार आकाश को छोड़ने के लिए हवाई अड्डे गया, जहां उसकी बहन ने उससे कहा कि वह उसके स्वास्थ्य के बारे में चिंता न करे और देश के लिए अच्छा खेलने पर ध्यान केंद्रित करे।’’
 
उन्होंने बताया कि वह हर दिन अपने भाई से बात करती है।
 
सिंह ने कहा, ‘‘मैच खत्म होने के तुरंत बाद, आकाश दीप का फोन आया और उन्होंने उससे वीडियो कॉल पर बात की। हम कल रात लगभग दो बजे सोए।’’
 
 नितेश ने कहा कि जब भी आकाश विकेट लेता है तो ज्योति को बहुत खुशी होती है और परिवार इतनी जोर से ताली बजाता है और खुशी मनाता है कि उनके पड़ोसी भी पूछते हैं कि क्या हुआ है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मां जी (आकाश की मां लदुमा देवी) भी उसकी (ज्योति) देखभाल के लिए मेरे साथ हैं। वह बहुत भावुक हो गई है।’’
 
 आकाश दीप के जीजा ने कहा अगर वह (आकाश दीप) इसी तरह प्रदर्शन करता रहा, तो इससे उसे मानसिक रूप से ठीक होने में मदद मिलेगी और उपचार अधिक प्रभावी होगा। उस पर कीमोथेरेपी का अच्छा असर हो रहा है और अब पहले से बहुत बेहतर है।’’
 
आकाश दीप ने अपनी बहन के साथ अपने पैतृक गांव और जिले को भी खुशी बनाने का मौका दिया।
 
उन्होंने अपने चचेरे भाई बैभव कुमार के साथ सासाराम में आकाश बैभव क्रिकेट अकादमी की स्थापना की। इस अकादमी में अभी 200 से अधिक खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते है।’’
 
बैभव ने कहा, ‘‘इतने सारे संघर्षों को देखने के बाद, आकाश हमेशा समाज को कुछ वापस देना चाहता था।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अकादमी में सभी सुविधाएं (बॉलिंग मशीन, फ्लडलाइट्स, नेट) हैं। हम बहुत कम कीमत पर यह सुविधाएं मुहैया कराते है ताकि मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों के बच्चों को भी अपने सपने को साकार करने का मौका मिले।’’
 
उनके गांव बद्दी में मैच के बाद से जश्न जारी है।
 
बैभव ने कहा, ‘‘हम नाच रहे हैं, मिठाइयां बांट रहे हैं। यह यहां बहुत से लोगों को प्रेरित करेगा।’ (भाषा) 


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